सुजाता चौधरी, इंदौर, मध्य प्रदेश।
चाय
नशा चाय का कुछ ऐसा कि, हर रोज सवेरा सजता है।
बिन चाय के चैन मिले न, सूना-सूना दिन लगता है।
सभी ये चाय उपयोगी होती है, नींद भगा देती स्वस्थ्य बनाती।
इसका रंग बड़ा मनमोहरी है, दार्जिलिंग पर्वतों से निकलती।
माटी के कुल्हड़ की वाली चाय, सर्दी में शीतलता भगाने वाली।
गुड,अदरक,लॉन्ग वाली चाय, चुस्की ले ले कर पी जाने वाली।
गर्मी के मौसम हो या सर्दी, बरसात या बंसत, मित्र मंडली के लिए है मधुबाला।
दे जाती रूहानी, सुखद एहसास अनंत,एक कप चाय का गरमा गरम प्याला।
तुलसी आदि तमाम, रंग हो जाय चाय का।
ठंडी हो बरसात, बैठ कें लेते जायका।
यह सब के दिल की हमजोली
पर यह चाय बहुत ही हैं भोली।
चाय पर चर्चा होती है, फुरसत के कुछ पल बैठे है।
चाय के साथ अखबार पढ़ते, दुनियाँ की खबर पढ लेते हैं।
चाय जैसी होती जिंदगी, चाय सिर का दर्द भगावे।
साथ बैठकर चाय पीने से, रिश्तों की डोर मजबूत बनावे।