शुभांगी छंद।
डॉ. रामबली मिश्र वाराणसी। शुभांगी छंद। विरले मनुजा,इस लोक दिखें, जो अति उत्तम,निर्मल हैं। अधिकांश यहाँ,दुख दानव हैं,पाप भरा मन,छल-बल है। विकृत मानस,दूषित नस -नस,घोर विनाशक,हैं जग में।…
“कुसंग”
डॉ. रामबली मिश्र वाराणसी। “कुसंग” डरो सदा कुसंग से जहर सदा इसे समझ। रहो न पास में कभी दिखे कदा नहीं सहज। करे सदैव गन्दगी कुबुद्धि का शिकार है।…
प्रेम (मदिरा सवैया)
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी। प्रेम (मदिरा सवैया) प्रेम वही मधु पावन है जिससे नहिं स्वार्थ कभी टपके। निर्मलता अति माधुर भावन कोमलता मृदुता चमके। व्यापकता भरपूर यहाँ…
सासू मां की खुशी।
ब्यूरो छत्तीसगढ़ः सुनील चिंचोलकर। रश्मि रामेश्वर गुप्ता, बिलासपुर, छत्तीसगढ़। सासू मां की खुशी। सीमन्त संस्कार के बाद मिनी अपने स्कूल वाले गांव…
सजल।
काव्य रत्न डॉ. रामबली मिश्र वाराणसी। सजल। सदा पास रहना नहीं दूर जाना। दिलेरी दिखाना हृदय को सजाना। सदा स्नेह का रस बरसता रहे…
दशहरा (दोहे)।
डॉ0हरि नाथ मिश्र, अयोया उ. प्र्। दशहरा(दोहे) दिव्य दशहरा पर्व यह, रामचंद्र-उपहार। दनुज-दलन कर राम ने, किया बहुत उपकार।। रावण-कुल का नाश कर,…
गांधी और लालबहादुर शास्त्री (दोहे)
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी। गांधी और लालबहादुर शास्त्री (दोहे) गांधी- शास्त्री दिव्य धन, दोनों भारत रत्न। राष्ट्रवाद के हेतु वे, करते रहे प्रयत्न।। इक आजादी के…
सम्बोधन तथा अन्य कविताएं।
समीक्षक -कवि संगम त्रिपाठी, जबलपुर, मध्यप्रदेश। सम्बोधन तथा अन्य कविताएं। (पुस्तक समीक्षा) डॉ विजयानन्द प्रमाणिक कवि है…. प्रयागराज की पावन भूमि से हिंदी का अलख जगाएं हुए समर्थ रचनाकार हैं।…
राष्ट्र-भाषा हिंदी(दोहे)
डॉ. हरि नाथ मिश्र, अयोध्या,उ.प्र.। राष्ट्र-भाषा हिंदी(दोहे) हिंदी-भाषा के बिना,कभी न हो कल्याण। आदर इसका सब करें,यही देश का प्राण।। हिंदी-भाषा विश्व की,भाषा एक प्रधान। हिंदी में अभिव्यक्ति से,मिलती…
पितृ पक्ष (दोहे)
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी। पितृ पक्ष (दोहे) पितरों के सम्मान से,होता है उत्थान। उनकी बातें गुन सदा,सदा बढ़ाना ज्ञान।। एक वर्ष…