देहरादून: प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू करने से पहले इसकी नियमावली बनाने का कार्य चल रहा है। शासन इस समय नियमावली बनाने के लिए गठित समिति के ड्राफ्ट का अध्ययन कर रहा है। माना जा रहा है कि 424 पृष्ठों की इस नियमावली में कई प्रविधान ऐसे हैं, जो केंद्रीय नियमों का दोहराव हैं।
सूत्रों की मानें तो ऐसे प्रविधान उत्तराधिकार और विवाह संबंधी विषयों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इ्न्हें हटाने की तैयारी है। साथ ही इसमें अर्थदंड को लेकर की गई व्यवस्था पर भी चर्चा की गई है। जल्द इस नियमावली को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून विधानसभा से पारित करा चुकी है और राष्ट्रपति से भी इसेमंजूरी मिल गई है। इस कानून को धरातल पर उतारने के लिए नियमावली बनाने का कार्य चल रहा है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष फरवरी में पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
अब इस पर गृह विभाग कार्यवाही कर रह है। नियमावली में अर्थदंड की व्यवस्था पर भी वित्त के साथ मिल कर मंथन किया जा रहा है। इसमें भी यह देखा जा रहा है कि जो व्यवस्थाएं की जा रही हैं, वे विधिसम्मत हों ताकि भविष्य में इसे लेकर को विवाद न हो।
सचिव गृह शैलेश बगौली का कहना है कि नियमावली के प्रारूप को लेकर कई चरणों की बैठकें हो चुकी है, जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।