हरी राम यादव, अयोध्या, यू. पी.।
रिश्वतखोरी के बाजार में।
रिश्वतखोरी के बाजार में,
हरी सब कुछ रहा बिकाय।
जिसकी जेब में पहुंच पैसा,
वह सब कुछ खरीद ले जाय ।
वह सब कुछ खरीद ले जाय,
गाय बना हुआ निर्धन बेचारा।
अपना काम कराने खातिर,
फिर रहा दर-दर मारा मारा।
सुनें न कोई बात गरीब की,
क्योंकि पास न उसके दाम ।
क्षण क्षण बिक रहा है देश में,
जिसके पास लोगों का है काम ।।