डॉ0 हरि नाथ मिश्र, अयोध्या (उ0प्र0)
गजल
हमारे इश्क़ में ऐसा मुकाम आया है,
किसी रक़ीब के हाथों सलाम आया है।।
बहुत दिनों से था उनसे न राबता कोई,
मग़र ये आज अचानक पयाम आया है।।
हमारे देश के दुश्मन हैं दुम दबाए हुए,
हमारे मुल्क़ में ऐसा निजाम आया है।।
किसी के प्यार का सदक़ा ही मैं समझता हूँ,
जो लब पे मेरे खुशी का कलाम आया है।।
हमारे देश को कमज़ोर मत समझना अब,
महान देशों में भारत का नाम आया है।।
सभी के धर्म के पूजा-भवन हैं दुनिया में,
मुसीबतों में याद यही धाम आया है।।