काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र, वाराणसी।
समाज में व्यक्ति का व्यवहार (Man’s Behaviour in Society)
मनुष्य का समाज में सदैव शुद्ध आचरण।
बने स्वयं जमीन का विशुद्ध दिव्य आवरण।
विवेकशील धर्म कर्म का सदा धमाल हो।
परार्थ सत्य नेक कर्म का सहज कमाल हो।
पवित्र भावना करे समाज को पवित्रतम।
विचार सत्व सिद्धि दे रहे स्वभाव उच्चतम।
मनुष्य से मनुष्य मिल बना रहा समाज है।
मनुष्य से समाज में दिखा सदा स्वराज है।
मनुष्य हो अगर नहीं समाज का पता कहाँ?
मनुष्य गढ़ रहा समाज बात सत्य है यहाँ।
मनुष्य की महानता समाज स्वस्थ के लिए।
सदा मनुष्य मूल है समाज भव्य के लिए।