गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां(राजस्थान)
क्योंकि हमको है तुमसे प्यार इतना
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क्योंकि हमको है तुमसे प्यार इतना।
तुमको माना है हमने ख्वाब अपना।।
क्योंकि हमको है—————-।।
नाराज हमसे ऐसे, नहीं रहो तुम।
नाखुश तुमसे दिल से नहीं हम।।
हम जो लड़ते हैं तुमसे रोज इतना।
नहीं तुम मानो, बुरा इसका इतना।।
क्योंकि हमको है—————।।
जलाते हैं दीपक हम क्यों किसके लिए।
सजाते हैं राहें हम क्यों किसके लिए।।
क्यों घर यह हमने, सँवारा है इतना।
किसके आने का है, इंतजार इतना।।
क्योंकि हमको है——————–।।
हम भी बनायेंगे यहाँ, एक नया ताजमहल।
जिस पर लिखेंगे शायर, मोहब्बत की गज़ल।।
तुमको माना है, चमन हमने अपना।
सींचते हैं लहू से क्यों, इसको इतना।।
क्योंकि हमको है———————।।