संजय एम. तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इंदौर (मध्यप्रदेश)
मर्द को दर्द नहीं होता…?
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता?
रात को जाग कर भी वह नहीं सोता।
वह तो अतुल सुभाष था, ना वो रोता,
वह आखिर कब तक प्रताड़ना सहता!
अपना दर्द वह किस-किस को कहता।
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता?
रात को जाग कर भी वह नहीं सोता।
इस कलयुग में क्या-क्या सेटल होता,
क्या? पुलिस, क्या? जज सबको देता!
इन लोगों के लिए सिर्फ एटीएम बनता।
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता?
रात को जाग कर भी वह नहीं सोता।
क्या? अर्धांगिनी का मन भी ऐसा होता,
जो पवित्र रिश्ते को भी आग लगा देता!
माता-पिता को भी बिलखता छोड़ देता।
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता?
रात को जाग कर भी वह नहीं सोता।
वह शिखर ही था जो मजबूर कर गया,
अपने कलेजे के टुकड़े को दूर कर गया!
सोचो, अतुल जिंदगी को निष्ठुर कर गया।