कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़
जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई।
सड़क दुर्घटना
सफर में तुम भी हो, सफर में मैं भी हूँ।
नजर में तुम भी हो, नजर में मैं भी हूँ।।
जिंदगी की गाड़ी चल रही आराम से,
अकेले तुम भी हो, अकेले मैं भी हूँ।।
रफ्तार में तुम भी हो, रफ्तार में मैं भी हूँ।
मुसाफिर तुम भी हो, मुसाफिर मैं भी हूँ।।
सबको पहुँचना है जल्दी अपनी मंजिल,
मदहोश तुम भी हो, मदहोश मैं भी हूँ।।
सड़क में तुम भी हो, सड़क में मैं भी हूँ।
गाड़ी में तुम भी हो, गाड़ी में मैं भी हूँ।।
सड़क दुर्घटना में हो गई जनता की मौत,
खबर में तुम भी हो, खबर में मैं भी हूँ।।
मसान में तुम भी हो, मसान में मैं भी हूँ।
राख धुआँ तुम भी हो, राख धुआँ मैं भी हूँ।।
जीवन कीमती है, ध्यान से चलाओ गाड़ी,
क्योंकि मानव तुम भी हो, मानव मैं भी हूँ?