गुरुदीन वर्मा (जी आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां, राजस्थान
उड पतंग, तू कर दे यह काम मेरा
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उड़ ओ पतंग, तू कर दे यह काम मेरा
पहुंचा दे जाकर उसको,तू यह पैगाम मेरा।।
उड़ ओ पतंग,तू ——————————।।
करते नहीं क्यों, मुलाकात हमसे।
देखा नहीं उनको, बहुत दिनों से।।
कैसा है उनका हाल, कैसा है मेरा हाल।
जाकर बता दे उसको, तू यह ख्याल मेरा।।
उड़ ओ पतंग,तू —————————–।।
लगता नहीं दिल, उनके बिना कहीं।
कब हुई सुबह, कब शाम हुई।।
नहीं होश हमको, अब इतना।
कहना कि आँखों में, उसका है चेहरा।।
उड़ ओ पतंग,तू —————————।।
क्यों कसमें, मोहब्बत भूल गए वो।
आखिर अब क्यों, बदल गए वो।।
की थी वफ़ाएँ, सँग जीने की।
आकर मिलें वो, देना यह खत मेरा।।
उड़ ओ पतंग,तू ————————–।।