आँसूओं में न बहाया करो…! 

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संजय एम. तराणेकर

(कवि, लेखक व समीक्षक)

इन्दौर, (मध्यप्रदेश)

 

 

आँसूओं में न बहाया करो…! 

 

दिल के अरमा आँसूओं में न बहाया करो,

मेरे पास खुशियॉ है साथ ले जाया करो।

क्यों? हर बार आँसूओं को कष्ट देना हैं,

उन्हें सूखने की मोहलत तुमसे लेना है।

इतनी मजबूरियाँ साथ में न लाया करो,

मैं भी दुखी हूँ मेरे आँसू ले जाया करो। 

 

दिल के अरमा आँसूओं में न बहाया करो,

मेरे पास खुशियॉ है साथ ले जाया करो।

कभी तो आनंद का उत्सव मनाया करो,

दुःखों की पोटली घर छोड़ आया करो।

एक-दूजे का खयाल रख पार पाना है,

न माने अपने,सुख से अलग हो जाना है।

 

दिल के अरमा आँसूओं में न बहाया करो,

मेरे पास खुशियॉ है साथ ले जाया करो।

क्या? होगा जो तुम मेरे साथ न होगी,

हमें तो हमेशा बनना था प्रेम का रोगी।

फक्त शरीर ही अपने साथ में ना होंगे,

ये हृदय तो साथ में धड़कते हुए मिलेंगे।

 

 

 

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