कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

Spread the love

हरी राम यादव,  सूबेदार मेजर (ऑनरेरी) अयोध्या (उ. प्र.)।

 

 

                  वीरगति दिवस पर विशेष

 

           कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स

            कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

 

 

हमारा पड़ोसी देश उस पड़ोसी की तरह है जो अपनी उन्नति से कम खुश होता है लेकिन दूसरे पड़ोसी की परेशानी से उसको ज्यादा ख़ुशी मिलती है। हमारा पड़ोसी देश हमेशा इस तरकीब में लगा रहता है कि वह किस तरह से हमारे देश को नुकसान पहुंचाकर खुश हो । वह अपनी इसी मानसिकता के चलते आये दिन सीमा पर कुछ ना कुछ हरकत करता रहता है, लेकिन हमारे देश की सेना की सजगता के चलते वह हमेशा अपने मकसद में विफल हो जाता है । फरवरी 2010 में एक ऐसी ही घटना घटित हुई जिसमें शामिल दहशतगर्द तो ढेर कर दिए गए लेकिन इस घटना ने देश और परिवार को एक ऐसा गहरा घाव दिया, जिसे देश और उस परिवार द्वारा भुला पाना नामुमकिन है ।

 

जम्मू कश्मीर के जनपद सोपोर का गावं चिंकीपोरा, जो की श्रीनगर से लगभग 54 किलोमीटर दूर स्थित है, 22 फरवरी 2010 को सुरक्षा बलों को खुफिया सूत्रों से सूचना मिली कि वहां कुछ घरों में कई आतंकवादी मौजूद है । इन आतंकवादीयों को पकड़ने के लिए पुलिस, सी आर पी एफ और सेना का एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू करने और आतंकवादियों का सफाया करने का निर्णय लिया गया और इस कार्य को 1 पैरा विशेष बल को सौंपा गया। 1 पैरा विशेष बल द्वारा इस अभियान के नेतृत्व की जिम्मेदारी कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स को दी गई। कैप्टन जस्स ने तुरन्त इस अभियान की जिम्मेदारी संभाल ली और 23 फरवरी 2010 को एकदम तड़के ही आपरेशन शुरू कर दिया।

 

आतंकवादी संदिग्ध इलाके में एक मकान में छिपे हुए थे, उस घर को कैप्टन जस्स की टीम ने सुनियोजित तरीके से घेर लिया। चुनौती दिए जाने पर आतंकवादियों ने अभियान दल पर फायर करना शुरू कर दिया और दोनों ओर से भीषण गोलाबारी शुरू हो गई। 04:45 बजे कैप्टन जस्स के नेतृत्व में हमला करने वाली टीम ने संदिग्ध इमारत पर धावा बोलने का फैसला किया। आतंकवादियों को इस तरह के हमले की पहले से ही आशंका थी, इसलिए उन्होंने घर के अन्दर पोजीशन ले ली थी । घर के अन्दर जो आतंकवादी छुपे थे वह काफी संख्या में और भारी हथियारों से लैस थे।

 

जब कैप्टन जस्स और उनके साथियोँ ने इमारत पर धावा बोल दिया और दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़े, तो उन पर चारों तरफ से हमला किया गया, जिसमें आतंकवादियों ने स्वचालित हथियारों और हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी होने लगी जिसमें कैप्टन जस्स के दल के सदस्य घायल हो गए। अपनी सुरक्षा की परवाह ना करते हुए उन्होंने घायल सैनिकों में से एक सैनिक को फायरिंग के बीच से निकाल लिया । वह फिर रेंगकर आगे बढे और अपने दूसरे घायल साथी को भी निकाल लिया , इसी बीच वह बुरी तरह घायल हो गए। घायल होने के बावजूद वह अपने उद्देश्य में लगे रहे और गुत्थम गुत्था की लड़ाई में दो आतंकवादियो को मार गिराया। इस साहसिक कार्यवाही के दौरान कैप्टन जस्स लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गये।

कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स ने इस ऑपरेशन में उत्कृष्ट साहस और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया, उनके उत्कृष्ट साहस और कुशल नेतृत्व के लिए उन्हें 23 फरवरी 2010 को मरणोपरान्त “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया। इस मुठभेड़ में कैप्टन जस के अलावा 1 पैरा विशेष बल के दो सैनिक नायक सेल्वा कुमार और पैराट्रूपर इम्तियाज अहमद थोकर भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। इनकी वीरता के लिए इन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया । मारे गए आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के एक-एक, हरकत-उल- मुजाहिदीन के दो और एक स्थानीय आतंकवादी था । यह ऑपरेशन लगभग 15 घंटे चला था ।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने कैप्टन दविन्द्र सिंह जस के सम्मान में इंदिरापुरम योजना में महागुन मेंशन से शिप्रा माल तक जाने वाली सड़क का नामकरण “शहीद कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स” के नाम पर किया है। नगर निगम ने इसी रोड पर स्थित एक पार्क का नाम “शहीद कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स पार्क ”रखा है । इनके परिवार द्वारा कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स की याद में “जस्स मेमोरियल ट्रस्ट” बनाया गया है जिसके माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और खेल के क्षेत्र में बालक और बालिकाओं की प्रतिभा को निखारा जाता है। इस ट्रस्ट द्वारा गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित नगर निगम बालिका इंटर कॉलेज में बैडमिंटन और वॉलीबॉल कोर्ट का निर्माण कराया गया है ।

 

कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स का जन्म 29 सितम्बर 1983 को दिल्ली में श्रीमती दलबीर कौर जस्स तथा श्री भूपेंद्र सिंह जस्स के यहां हुआ था , उन्होंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा गुरू हरिकृष्न पब्लिक स्कूल, इण्डिया गेट, नई दिल्ली से उत्तीर्ण किया। बी0 टेक0 की शिक्षा जी0 एल0 ए0 यूनिवर्सिटी मथुरा और आई0 आई0 आई0 टी0 इलाहाबाद से एम0 बी0 ए0 की शिक्षा पूरी की। साहसी प्रवृत्ति का होने के कारण एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में मिली हुई नौकरी को छोड़कर उन्होंने सेना को चुना। उन्होंने भारतीय सेना की सिग्नल्स कोर में 10 दिसम्बर 2007 को कमीशन लिया और जनवरी 2009 में वह 1 पैराशूट रेजिमेंट के लिए चुने गये।

 

कीर्ति चक्र से सम्मानित कैप्टन दविन्द्र सिंह जस्स का परिवार गाजियाबाद में निवास करता है, इनके परिवार में इनके माता पिता के अलावा इनकी बड़ी बहन हरप्रीत कौर हैं जो कि जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

 

 

  • Related Posts

    मेडिकल कॉलेज, कोरियावास के नामकरण का विरोध अनुचित। निंदनीय है महर्षि च्यवन का अपमान : डॉ. ‘मानव’।

    Spread the love

    Spread the loveमेडिकल कॉलेज, कोरियावास के नामकरण का विरोध अनुचित। निंदनीय है महर्षि च्यवन का अपमान : डॉ. ‘मानव’।                नारनौलः ग्राम पंचायत, कोरियावास…

    बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर मंदिर परिसंपत्तियों, विश्राम गृहों, संस्कृत महाविद्यालय का निरीक्षण किया।

    Spread the love

    Spread the loveमीडिया प्रभारीः डा. हरीश गौड़।   उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2025   • बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर मंदिर परिसंपत्तियों,…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    चॉक से चुभता शोषण: प्राइवेट स्कूल का मास्टर और उसकी गूंगी पीड़ा। 

    • By User
    • April 17, 2025
    • 4 views
    चॉक से चुभता शोषण: प्राइवेट स्कूल का मास्टर और उसकी गूंगी पीड़ा। 

    संतो के प्रति दुर्व्यवहार की घटनाएं चिंताजनक।

    • By User
    • April 16, 2025
    • 4 views
    संतो के प्रति दुर्व्यवहार की घटनाएं चिंताजनक।

    सीखो गिलहरी-तोते से

    • By User
    • April 16, 2025
    • 7 views
    सीखो गिलहरी-तोते से

    झारखंड की राजनीति में नया मोड़, अब झामुमो की कमान हेमंत सोरेन के हाथों।

    • By User
    • April 16, 2025
    • 5 views
    झारखंड की राजनीति में नया मोड़, अब झामुमो की कमान हेमंत सोरेन के हाथों।

    गिलहरी और तोता: एक लघु संवाद

    • By User
    • April 16, 2025
    • 4 views
    गिलहरी और तोता: एक लघु संवाद

    यह तेरी खुशनसीबी है कि————

    • By User
    • April 16, 2025
    • 5 views
    यह तेरी खुशनसीबी है कि————