
गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
सच-सच बता दो तुम अपने दिल से
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सच-सच बता दो तुम अपने दिल से, ऐसा कभी फिर कहेंगे नहीं।
करते हो प्यार क्या तुम हमसे, हम यह किसी से कहेंगे नहीं।।
सच-सच बता दो तुम अपने दिल से—————-।।
क्यों छेड़ते हो तुम ऐसे हमको, कहो तुम हमसे इसकी वजहां।
क्यों रूठते हो तुम फिर हमसे, बताओ हमें तुम इसकी वजहां।।
छुपाओ नहीं कुछ ऐसे तुम हमसे, शक कोई तुमपे करेंगे नहीं।
सच-सच बता दो तुम अपने दिल से————–।।
गर हो तुम्हें यार प्यार किसी से, करना नहीं कोई उम्मीद हमसे।
बदनामी क्यों हम तुमसे कराये, बर्बाद क्यों हम होये तुमसे।।
चाहते हो क्या हमसे तुम यह कह दो, शिकायत तुमसे हम करेंगे नहीं।
सच-सच बता दो तुम अपने दिल से—————–।।
पछतावोगे तुम कल को बहुत, बहावोगे आँसू हमें याद करके।
रूठ गये तो हमें मना नहीं सकोगे, कदम नहीं रखेंगे तेरी दर पर आकै।।
छुपते हो क्यों हमसे, राज यह दो, कभी फिर तुम्हें हम छुयेंगे नहीं।
सच-सच बता दो तुम अपने दिल से—————–।।