
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए…!
कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।
आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।
बेटियों साथ हो कभी छेड़छाड़,
चेतना जगाने की ले लो आड।
शिक्षा का स्तर बढ़ा यू बढ़ाओ,
न हो यौन शोषण साथ आओ।
कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।
आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।
खूब जिमाओ, वस्त्रादि दो भेंट,
मानसिक व शारीरिक करों सेट।
कराओ अवगत उन्हें गुड-बेडटच,
पापी व बलात्कारी न जाये बच।
कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।
आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।
कन्याओं में ऐसी शक्ति जगाएँ,
अधर्मीै चाहकर भी छू ना पाएँ।
पेरेंट्स पुत्रों को ये सबक सिखाएँ,
शीलभंग का उन्हें भी डर बैठ जाएँ।