
डॉ0 हरि नाथ मिश्र, अयोध्या (उ0प्र0)
बलम निरमोहिया
जोहीं कइके सोरहो सिंगार हो,
बलम निरमोहिया न आए।
बेरि-बेरि झाँकिला दुआर हो-
बलम निरमोहिया न आए।।
जोहीं कइके सोरहो………।।
देखि के मुँडेरिया पे बइठल कागा,
ओकरा से पूछे मोर जियरा अभागा।
कइसे करीं पिया कय गोहार हो-
बलम निरमोहिया न आए।।
जोहीं कइके सोरहो…………।।
सुति-उठि,रात-दिन रहिया निहारीं,
सासू अउरू ननदी कय बतिया बीचारीं।
सुनि-सुनि तानवा त गइली हम हार हो-
बलम निरमोहिया न आए।।
जोहीं कइके सोरहो………….।।
रेलिया-मोटरिया जब-जब गुजरय,
सुनि-सुनि सीटिया जियरा हकरय।
चिहुँकि उठय झट से हियरा हमार हो-
बलम निरमोहिया न आए।।
जोहीं कइके सोरहो………….।।
सातो जनमवाँ कय खाइ के कसमिया,
तोहका बोलावै ई सुहाग कय नथुनिया।
सैंया बिनु होवय अब न गुजार हो-
बलम निरमोहिया न आए।।
जोहीं कइके सोरहो सिंगार हो-
बलम निरमोहिया न आए।।