
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
10 अप्रैल-महावीर जयंती पर विशेष कविता
महावीर के वचन व प्रेरक वाणी…!
महावीर स्वामी के वचन व प्रेरक वाणी,
जीवन दर्शन-संस्कृति अनुगुंजित प्राणी।
अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकान्त की त्रयी,
दृष्टि निपुणता प्राणियों प्रति संयम भयी।
जीवन स्तर जागरुकता होती हैं साकार,
लेशमात्र भी मन में न रखों कोई विकार।
महावीर स्वामी के वचन व प्रेरक वाणी,
जीवन दर्शन-संस्कृति अनुगुंजित प्राणी।
जीवनचर्या दृष्टि हो आधार पर संयमन,
एकता, समता, संगम, नियंत्रण के क्षण।
हिंसा की प्रवृत्ति को कर दो हतोत्साहन,
दूसरों के दुःख को दूर करों बनों वाहन।
महावीर स्वामी के वचन व प्रेरक वाणी,
जीवन दर्शन-संस्कृति अनुगुंजित प्राणी।
जन्म से कोई भी किसी जाति का नहीं,
कर्म ही करते निर्धारित सब खाता-बही।
वचनों में अनुध्वनित अपरिग्रह महावीर,
आर्थिक, सामाजिक आकांक्षा रखें धीर।
‘परस्परोग्रहों जीवानाम्म’ हैं लक्ष्य महान।