
डॉ0 हरि नाथ मिश्र, अयोध्या (उ0प्र0)
हनुमत वंदना (चौपाइयाँ)
जय-जय-जय भगवन हनुमंता।
अति प्रिय तुमहिं राम भगवंता।।
तव अह प्रभु हिय सतत निवासा।
अटल मातु सिय अपि बिस्वासा।।
मातु सीय के रच्छा हेतू।
लंक जरायो कृपा निकेतू।।
नाँघि सिंधु आयो यहि पारा।
राम-लखन-हिय हरख अपारा।।
लाल बाल रबि भक्षेयु तोहीं।
कियो दिवस करि बाहर ओहीं।।
अछत-अमिट अह तव परतापा।
हर बिधि हरहु भक्त- जन तापा।।
गावै जे नर महिमा तोरी।
बाढ़ै तासु बुद्धि-बल जोरी।।
सुनहु अरज मम पवन कुमारा।
महि काँपै पा दुक्ख अपारा।।
क्रंदन-रुदन-रोग-अँधियारा।
आइ उबारउ करि उजियारा।।
अंजनि-पुत्र सुनहु कपि भारी।
हरहु भार अघ हे अवतारी।।
दोहा-करहु कृपा कपि श्रेष्ठ अब, पवनपुत्र हनुमान।
आइ हरहु जग-कष्ट सब, करहु जगत-कल्यान।।