महाराष्ट्र में फिर सक्रिय हो रहे हैं राज ठाकरे

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डॉ.मुकेश ‘कबीर’।

 

 

महाराष्ट्र में फिर सक्रिय हो रहे हैं राज ठाकरे

 

गुड़ी पड़वा पर राज ठाकरे की विशाल सभा और उनके भाषण की चर्चा पूरे महाराष्ट्र में हो रही है,उनकी सभा को बहुत सफल बताया जा रहा है और इसकी तुलना बाला साहेब की सभाओं से हो रही है क्योंकि राज ठाकरे की इस सभा में लोगों की संख्या इतनी थी कि पूरा शिवाजी पार्क फुल था,ऐसा सिर्फ बाला साहेब की सभाओं में होता था। आमतौर पर राज ठाकरे की सभाओं को सत्ता पक्ष भी एक लेसन लर्निंग भाषण की तरह लेता है क्योंकि राज ठाकरे हमेशा ऐसा कुछ न कुछ जरूर बोलते हैं जिसे सुनकर महाराष्ट्र सरकार अपने निर्णय में सुधार करती है। मुंबई में आम धारणा है कि भले ही राज ठाकरे की पार्टी चुनाव में ज्यादा सफल न हो लेकिन राज ठाकरे क्या बोलते हैं इसमें सबको इंट्रेस्ट होता है। यहां तक कि महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता भी राज की सभाओं को बहुत गंभीरता से लेते हैं। वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले कहते हैं कि ‘इस बार की सभा में राज ने सरकार को दिशा देने वाली कोई बात नहीं की लेकिन जनता की भारी संख्या के कारण यह एक सफल सभा मानी जाएगी जो भविष्य में महाराष्ट्र को प्रभावित जरूर करेगी।’ असल में राज ठाकरे के समर्थकों का मानना है कि वे जो बोलते हैं उसमें उनकी महाराष्ट्र के प्रति चिंताएं साफ झलकती हैं और महाराष्ट्र को गर्व होना चाहिए कि उनके पास कम से कम एक नेता तो ऐसा है जो राजनीति से ऊपर उठकर महाराष्ट्र और मुंबई के बारे में कुछ सोचता है,बोलता है। आजकल राज जैसे नेता देश में नहीं मिलते हैं जो अपने प्रांत और अपने लोगों के लिए मुखरता से बात रखते हैं जबकि इस मुखरता का उनको नुकसान भी उठाना पड़ता है।

वैसे राज ठाकरे ऐसे नेता हैं जिनमें अपने गुरु की पूरी झलक दिखाई देती है,आमतौर पर ऐसे उत्तराधिकारी कम देखने को मिलते हैं जिनमें अपने गुरु की इतनी गहरी छाप देखने को मिले लेकिन राज पूरी तरह से बाला साहेब नजऱ आते हैं और उन्हीं की तरह ही बात रखते हैं और वैसी ही उनकी राजनीतिक शैली है ,बाला साहेब की ऐसी झलक उद्धव ठाकरे में भी दिखाई नहीं देती और न ही बाला साहेब के स्वघोषित उत्तराधिकारी एकनाथ शिंदे में। राज महाराष्ट्र के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर तो करते हैं लेकिन अब दिक्कत यह है कि देश की राजनीति काफी बदल चुकी है इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ रहा है वरना राज ठाकरे महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के भी सबसे बेहतरीन नेताओं में गिने जा सकते हैं। राज की राजनीतिक समझ का अंदाज़ तो इस बात से भी लग जाता है कि इस बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा इस सवाल का जवाब मीडिया और बीजेपी के पास भी नहीं था तब राज ने कह दिया था कि फडणवीस जी अगले मुख्यमंत्री होंगे,खास यह कि उन्होंने यह बात चुनाव से पहले ही कह दी थी और तब उनका इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार भी इस बात पर यकीन नहीं कर रहे थे लेकिन परिणाम यही आया बीजेपी जीती और फडणवीस मुख्यमंत्री बने जबकि यह निर्णय लेने में बीजेपी को भी बीस दिन से ज्यादा का समय लगा था लेकिन आखिर में राज सही साबित हुए। हालांकि इस बार राज ठाकरे का एक भी कैंडिडेट चुनाव जीतकर नहीं आया लेकिन उसका कारण यह रहा कि इस बार लाडली बहना जैसी मुफ्त की योजनाएं महाराष्ट्र में भी असर कारक रहीं जिसकी उम्मीद मराठी लोगों को भी नहीं थी और राज शुरू से ही इस योजना का खुलकर विरोध कर रहे थे। राज के अनुसार इस तरह की योजनाएं देशहित में नहीं है,संभवत: यही साफगोई राज को भारी पड़ी । राज की दूसरी कमजोरी यह है कि वे वर्तमान राजनीति के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे हैं। उनके समकालीन जितने भी नेता हैं सभी के सभी जातिवाद और हिंदू मुस्लिम की राजनीति करने लगे है फिर चाहे अखिलेश यादव हों या ममता बनर्जी या फिर फडणवीस या फिर उद्धव ठाकरे भी लेकिन राज आज भी महाराष्ट्र की बात करते हैं, जातिवाद को खत्म करने की बात करते हैं। राज ठाकरे आज भी एक ऊर्जावान नेता हैं उनको जनसमर्थन भी मिल रहा और उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है लेकिन यह वोट बैंक में कब तब्दील होगी यह सवाल जरूरी है। राज की दिक्कत यह है कि अब सत्ता में बीजेपी है जो खुद के अलावा किसी और को राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की राजनीति करने नहीं देती इसलिए बीजेपी ने एक एक करके सारे हिंदूवादी पार्टी और संगठनों को कमजोर कर दिया है और राज को भी इस चुनाव में बीजेपी के कारण नुकसान हुआ है और आगे भी उनकी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी ही रहेगी ,इस चुनौती से कैसे निपटना है यह राज को तय करना होगा। मुझे लगता है सिर्फ मराठी मानुष और मराठी अस्मिता ही राज को फिर से उभार सकते हैं , इसीलिए उनको इस पर ही कायम रहना चाहिए,शायद उन्हें भी इसका अंदेशा जरूर है इसलिए वो मराठी एकता की बात भी करते हैं और मुंबई की भी । अब देखते है राज का जादू कितना प्रभावी होगा,वैसे राज ठाकरे के समर्थकों का तो यही कहना है कि यदि बाला साहेब टाइगर थे तो राज निश्चित रूप से उनका छावा है।

(विनायक फीचर्स)

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