संभल के कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर का सच।

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मनोज कुमार अग्रवाल।

 

       संभल के कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर का सच।

संभल के कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर से लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पहले जहां मंदिर में शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्ति मिली थी, वहीं अब मंदिर के परिसर में मौजूद कुएं की खुदाई के दौरान मां पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं।

उत्तर प्रदेश के संभल में मुस्लिम बहुल इलाके में इस मंदिर का पता चलने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातोरात प्रशासन ने बना दिया? क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों-रात आ गई? मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 वर्ष पहले संभल में नरसंहार किया था? इस पर चर्चा क्यों नहीं होती है।

46 साल से बंद पड़े संभल के इस मंदिर में रविवार से पूजा-पाठ प्रारंभ कर दी गयी है। हिंदू संगठन के लोग मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचे। मंदिर में विधि विधान व मंत्रोच्चारण के साथ पूजा संपन्न होने के बाद आरती की गई।

कैसे मिली मंदिर की जानकारी?

इलाके में बिजली चोरी की चेकिंग के दौरान मंदिर होने की जानकारी सामने आई थी। संभल में मस्जिदों और घरों में छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर बिजली चोरी के खुलासे हुए । इसी दौरान यहां पुलिस तब हैरान रह गई जब इस इलाके में चेकिंग के समय अचानक एक मंदिर मिल गया जो कि सन 1978 से बंद बताया जा रहा है।

46 सालों से बंद पड़ा ये मंदिर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला है। मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा, शिवलिंग और नंदी स्थापित हैं। फिलहाल यहां डीएम और एसपी ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है।

संभल के सीओ अनुज चौधरी ने कहा कि ये मंदिर कई सालों से है। 1978 में जब दंगा हुआ था तब भी मंदिर यहीं था। यहां सभी को पता है कि दंगे के बाद यहां से हिंदू पलायन कर गए थे। मंदिर की जानकारी सामने आने के बाद खुदाई में यहां एक कुआं भी मिला है। इस कुएं को ढका गया था।

मकान बनाकर मंदिर पर कब्जे की बात भी सामने आई है। एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया, चेकिंग के दौरान पता चला कि कुछ लोगों ने मकान बनाकर मंदिर पर कब्जा कर लिया है। अब मंदिर की साफ-सफाई करा दी गई है और जिन लोगों ने मंदिर पर कब्जा किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मंदिर में भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्तियां हैं। पहले इस क्षेत्र में कई हिंदू परिवार रहते थे बाद में उन्होंने यह क्षेत्र छोड़ दिया था।

मंदिर के पास है प्राचीन कुआं। 

डीएम संभल राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि मुस्लिम आबादी के बीचों-बीच बंद पड़े मिले मंदिर के पास एक प्राचीन कुएं के बारे में भी जानकारी मिली। अब इस कुएं की खुदाई की जा रही है। मंदिर के आसपास के इलाके में किया गया अतिक्रमण भी ध्वस्त किया जाएगा।

जिला प्रशासन द्वारा मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान कुएं की सफाई का काम शुरू किया गया था। इस दौरान मिट्टी हटाने पर ये तीनों मूर्तियां मिलीं। इनमें से एक मूर्ति संगमरमर की है और कार्तिकेय जी की मानी जा रही है। हालांकि, अन्य दो मूर्तियां थोड़ी खंडित अवस्था में मिली हैं। मिली हुई मूर्तियों की प्राचीनता का पता लगाने के लिए पुरातत्व विभाग को सूचित कर दिया गया है। जल्द ही इन मूर्तियों की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी ताकि इनकी सही उम्र का पता चल सके। डिप्टी एसपी अनुज चौधरी ने बताया कि मंदिर से मिली सभी मूर्तियों को सुरक्षित रख लिया गया है। कुएं की खुदाई का काम फिलहाल रोक दिया गया है और कुएं को ढक दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस खोज से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए एक नया अध्याय खुल गया है।

दंगों के बाद से बंद था मंदिर। 

स्थानीय लोगों के अनुसार, 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से इस मंदिर को बंद कर दिया गया था। मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद इसे 15 दिसंबर को फिर से खोला गया था। लोगों द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक कर आरती की गई। इसके बाद हनुमान जी की आरती भी की गई। वही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटना भी शुरू हो गई है।

विद्युत चोरी की जांच में निकला मंदिर। 

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि हम विद्युत चोरी के खिलाफ अभियान चला रहे थे और जगह-जगह जाकर चेक कर रहे थे, तो इस स्थान पर भी पहुंचे। यहां पर एक मंदिर दिखाई दिया। इसके बाद मैंने जिलाधिकारी से इस मंदिर को खोलने की अनुमति ली और अब हम सभी लोग इस मंदिर का निरीक्षण करने के लिए यहां आए हैं। मंदिर के अंदर हनुमान जी की मूर्ति और शिवलिंग पाए गए।

बहरहाल स्पष्ट है कि हिन्दू मुस्लिम दंगों के दौरान तत्कालीन राज्य सरकारों की नीति मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुओं के साथ दोहरा बर्ताव करने की रही। इन दंगों में करीब 184 हिन्दूओं की जान गयी थी। यह सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और लचीले रुख का ही नतीजा था कि मंदिर को बंद कर कुछ मूर्तियां विध्वंस कर जमीन व भवन पर बलात कब्जा कर लिया गया जिसकी कलई अब राज्य सरकार के बिजली चोरों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान खुल कर सामने आयी है। देखना है कि अब सरकार इस मामले में कितने गंभीर व सख्त कदम उठाती है। (विनायक फीचर्स)

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