सुभाष आनंद।
कैंसर का खतरा बढ़ा रहे झाग वाले शैंपू और टूथपेस्ट।
ऐसे शैंपू और टूथपेस्ट जिन में अधिक झाग निकलता है वह खतरे से खाली नहीं है इसलिए उपयोग करने से पहले टूथपेस्ट और शैंपू के बाहर लिखे गए उन पदार्थों की सूची अच्छी तरह से पढ़ लेनी चाहिए जिनकी सहायता से इसे बनाया गया है। इस सावधानी को न बरतने वालों में अनेक रोगों से ग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है। जिनमें कैंसर प्रमुख है।
भारत में बिकने वाले अधिकतर शैंपू और टूथपेस्ट में सोडियम नाइट्रेट सल्फेट का खुलकर प्रयोग किया जाता है। अनेक उत्पादक इसका पूरा नाम लिखने के स्थान पर एसएनएस ही लिख देते हैं। विदेशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसका जमकर प्रयोग कर रही हैं परंतु स्थानीय और छोटी-छोटी कंपनियां इसका प्रयोग करने से परहेज करती हैं ।
विश्व के सभी विकसित देशों में औषधीय और सौंदर्य प्रसाधनों के पैकेट के बाहर लिखा जाना जरूरी है कि प्रोडक्ट को बनाने के लिए कौन-कौन से रसायनों का प्रयोग किया गया है। भारत में भी औषधीय और सौंदर्य प्रसाधनों के मामले में उपयोग किए गए पदार्थ का नाम पैकेट के ऊपर लिखना कानूनी रूप से अनिवार्य है किंतु सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियां इस नियम का पूरी तरह पालन नहीं करती हैं। हमारे यहां विश्व के अन्य देशों की तरह सभी उत्पादों पर अनिवार्य रूप से यह नहीं लिखा जाता।
अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध पेंसिल्वानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल हक का कहना है कि शैंपू या टूथपेस्ट में अधिक झाग पैदा करने के लिए अधिकतर कंपनियां सोडियम नाइट्रेट सल्फेट का प्रयोग करती हैं,जिसके दीर्घकालीन उपयोग से कैंसर हो सकता है। यह रसायन बहुत सस्ता होता है और बड़ी आसानी से मार्केट में उपलब्ध होता है,बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसका प्रयोग फर्श या फिर कारखाने की सफाई में करती है। कई वैज्ञानिक यह मान चुके हैं कि सोडियम नाइट्रेट सल्फेट का प्रयोग लगातार किया जाता है तो कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। प्रसिद्ध प्रोफेसर माइकल हॉल ने कई कंपनियों के नाम की सूची भी रिलीज की है ताकि लोग जागृत हो सके। उन्होंने आगे बताया कि टूथपेस्ट और शैंपू कंपनियों में काम करने वाले केमिकल वैज्ञानिकों ने उन्हें स्वयं बताया है कि झाग पैदा करने के लिए सोडियम नाइट्रेट सल्फेट का प्रयोग किया जाता है। यह देखने में आया है कि भारत में समृद्ध परिवार हों या साधारण नागरिक सभी झाग वाले शैंपू और टूथपेस्ट का प्रयोग बड़े शौक से करते हैं,जिसके कारण भारत में कैंसर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। प्रोफेसर हक की यह चेतावनी विशेष कर उन भारतीय लोगों के लिए है जो बड़ी मात्रा में झाग वाले शैंपू और टूथपेस्ट का उपयोग करते हैं। प्रोफेसर का कहना यह भी है कि हर्बल शैंपू और टूथपेस्ट का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए। हर्बल शैंपू बालों की पूर्ण सुरक्षा करने करते हैं तथा हर्बल टूथपेस्ट मसूड़े को मजबूत रखते हैं। आंवला शिकाकाई के ऐसे शैंपू जिनमें कम झाग बनता है वे किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं होते। इनका मूल्य भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शैंपू और टूथपेस्ट से कम ही होता है। विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लगातार विज्ञापनों के कारण अंग्रेजी सभ्यता की पक्षधर अनेक भारतीय महिलाएं बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए शैंपू और टूथपेस्ट का ज्यादा प्रयोग कर रही हैं, जिससे कैंसर की बीमारी अब गांव में भी घुसपैठ कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रायः लोग समझते हैं कि जिस टूथपेस्ट और शैंपू से जितना ज्यादा झाग निकलता है वह टूथपेस्ट और शैंपू उतना ही अच्छा होता है परंतु यह मूर्खता वाली बात है।अधिक झाग छोड़ने वाले शैंपू प्रायः बालों को नुकसान करते हैं और बाल भी जल्दी झड़ने लगते हैं। (विभूति फीचर्स)