प्रभारी सम्पादकः पंकज सीबी मिश्रा (लखनऊ)
कांग्रेस की राजनीतिक दुर्दशा नाकाम सोशल इनफ्लूएंसर्स की देन।
लखनऊ ब्यूरो : आम आदमी पार्टी की दिल्ली वाली दुकान इस बार बंद हो सकती है क्योंकि केजरीवाल ने पिछले चुनाव में साफ पानी और स्वच्छ यमुना के लिए ये वाले पांच साल मांगी थी जिसकी मियाद अब पूरी हो चुकी है। अब तक इन दोनो मुद्दों पर कोई खास काम हुआ नही और अब दिल्ली की जनता आर – पार के मूड में दिखाई दे रही। इस बार केजरीवाल पर घोटालों के जो दाग लगे है उसी से अब आम आदमी पार्टी लस्त पस्त लग रही। उधर केजरीवाल राहुल गांधी से उलझ पड़े है और उनकी सेना, पूर्व सांसद और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी द्वारा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर की गई टिपण्णी को आधार बनाकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक प्रचार कर रही। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जब ‘आप’ की जमीन खिसक रही है, ऐसे में अल्प-वयस्क के नाम की आड़ में एक एनजीओ का नाम सामने आ रहा है, जिसका संबंध अफजल गुरु से मिलता दिख रहा है। मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी इसके घेरे में हैं। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि आम आदमी पार्टी का संबंध ऐसे तमाम अवांछित एनजीओ से रहा है, जो अफजल गुरु की फांसी और देश विरोधी तमाम गतिविधियों में शामिल थे। यूपी के राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने कहा कि एक तरफ आम आदमी पार्टी भाजपा को गालीबाज पार्टी बता रही है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को पाकिस्तान का हितैषी कह रही जबकि आम आदमी पार्टी आंकठ तक भ्रष्टाचार में डूबी है और उसके मुख्यमंत्री और कई मंत्री जेल रिटर्न है। आप द्वारा अब जबकि रमेश बिधूड़ी को भाजपा का सीएम उम्मीदवार बताते हुए जमकर पोस्टर-बैनर वार भी शुरू कर दिया ऐसे प्रचार से भाजपा बड़ी कशमकश में है और ‘आप’ के पोस्टर-बैनर के मुद्दे पर चुनाव आयोग भी जा चुकी है। भाजपा के इस उधेड़बुन का फायदा कांग्रेस को भी मिलता दिखाई दे रहा और अब आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस भी अपना हमला रोकने को राजी नहीं है। भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है।
दिल्ली को रामभरोसे छोड़कर विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी ने लौटते ही केजरीवाल पर बरसना शुरू कर दिया। इसकी भूमिका महाराष्ट्र चुनाव में करारी हार के बाद तैयार हो गई थी । पार्टी के नीति निर्धारकों ने राहुल से पूछा कि हम कब तक अपना वोट बैंक क्षेत्रीय दलों के हवाले करते रहेंगे ? इस बात पर गहरी चिंता जताई गई कि कांग्रेस ने बड़े यत्न से धर्म विशेष और जाति विशेष का वोट बैंक संजोकर 1000 साल तक भारत की सत्ता पर काबिज रहने का स्वप्न देखा था। सब ठीक भी चल रहा था। लेकिन एक एक कर देश की करीब 28 क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन का सपना दिखा कांग्रेसी वोट बैंक ले उड़ीं। मतलब गठबंधन की महफिल कांग्रेस ने सजाई और मलाई खाने आ गए तमाम क्षेत्रीय दल ! नतीजा सत्ता में अब पैदल हो गई कांग्रेस। बेरुखी इस कदर कि जो कभी मिन्नतें करते थे, कभी यूपीए तो कभी इंडी बनाते थे, उन्होंने बात करना भी बंद कर दिया ? पिछड़ा वोटबैंक ले उड़े अखिलेश, मुस्लिम वोट बैंक ले उड़े केजरीवाल और उमर, दलित वोटबैंक तेजस्वी के खाते में गया , रोहिंग्या ममता के पाले में निकल गए, कम्युनिस्ट शरद पवार ले उड़े। अब चुनाव नजदीक हैं तो स्टालिन भी सीधे मुंह बात नहीं कर रहे। भाजपा ने मंगलवार को भी दिल्ली में पिछले महीने स्कूलों में बम की धमकी के मामले को जोड़ते हुए आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। उधर अब ये रहस्य गहरा रहा है कि वो एनजीओ कौन हैं और जिसका आम आदमी पार्टी से कोई संबंध है और जो आम आदमी पार्टी को फंडिंग कर रही। हालत यह हो गई कि दिल्ली राज्य में पिछली बार कांग्रेस पार्टी को 4.30% वोट मिले पर लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी को ले डूबे ? केजरीवाल ने पंजाब में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया था। ममता ने ऐसा ही किया और अब अखिलेश ने भी कांग्रेस को बीच चौराहे लाकर पटक दिया। उमर ने मोदी से लगभग हाथ मिला लिया है। बिहार में तेजस्वी भी अकेले लड़ने का मन बनाए बैठे है । दलित वोटबैंक तो पहले मायावती और फिर बीजेपी ले उड़ी। अब मुस्लिम वोट बैंक का सफाया कर क्षेत्रीय दल कांग्रेस के कोर वोट को डकारने को तैयार हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं के भरोसे पार्टी को छोड़ने की बजाय राहुल ने दिल्ली राज्य जीतने के लिए तमाम ताकत झोंक दी है। बीजेपी को तो वे रोजाना गाली दे रहे हैं, कल आप को भी जमकर लताड़ लगाई। राहुल ने सभा भी दिल्ली के उस सीलमपुर में की जो कभी कांग्रेस का गढ़ था और जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। वैसे कांग्रेस को अब जाकर जो मुस्लिम वोट बैंक खोने की चिंता हुई, यह चिंता जायज है। कांग्रेस का हिन्दू वोट तो पहले ही खो चुकी है । केंद्र की कुर्सी बीजेपी ले उड़ी, अब मुस्लिम भी यदि क्षेत्रीय दल ले उड़े तो राजनीति में कांग्रेस करेगी क्या ! ये दुर्दिन कांग्रेस को फर्जी सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर, फर्जी सोशल मीडिया नेता और लालची यूट्यूबर के भरोसे रहने के कारण देखना पड़ रहा है। मतदान में कुछ दिन रह जाने से पहले अब की सक्रियता दिल्ली में क्या रंग दिखाएगी, कहना मुश्किल है। लेकिन इंडी की बर्बादी के दौर में कांग्रेस यदि वास्तव में उठ खड़ी हुई तो आम आदमी पार्टी का खेल तो बिगाड़ ही देगी। कांग्रेस की दिक्कत यह है कि उसके पास एक उपलब्धि है और वही उसके पतन का कारण है। वह है राहुल गांधी, जिनके पास शब्दों का अकाल है। मोदी अडानी के अलावा उन्हें जो याद है वह है जाति जाति। पता नहीं किसने उनके दिमाग में यह सब भर दिया है। आश्चर्य की बात है कि जिन प्रियंका को समझदार समझा जाता था वे खुद राहुल की पिछलग्गू बनकर रह गई हैं। उन्हीं की बोली बोलती हैं । खैर ! कांग्रेस अपना मुस्लिम वोट बैंक बचा ले हम तो यही चाहते हैं। दिल्ली में झूठ मक्कारी भ्रष्टाचार और पाखंड का पतन होना ही चाहिए।