आर्थिक विकास ही नहीं सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी उद्देश्य। 

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पवन वर्मा।

 

              ग्लोबल इंवेस्टर सम्मिट।

 

आर्थिक विकास ही नहीं सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी उद्देश्य। 

 

मध्यप्रदेश को भारत का हृदय प्रदेश कहा और माना जाता है। प्राचीनकाल में देश के प्रमुख व्यापारिक केंद्रो में मध्यप्रदेश की पवित्रतम नगरी उज्जैन और विदिशा का उल्लेख प्रमुखता से मिलता है। सम्राट अशोक से लेकर राजा भोज और बाद में मुगलों और मराठाओं के काल में भी उज्जैन औद्योगिक नगरी के रुप में प्रसिद्ध रहा है। स्वतंत्रता के बाद इंदौर देश की प्रमुख व्यापारिक नगरी के रुप में स्थापित हुआ और मुंबई के बाद देश की दूसरी आर्थिक राजधानी के रुप में प्रसिद्ध हुआ। महेश्वर, चंदेरी अपने वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं तो बुधनी जैसा छोटा क्षेत्र अपने लकड़ी के सामानों के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है । रतलाम के नमकीन तो दुनिया भर में लोग चटखारे लेकर खाते हैं वहीं विदिशा की पतंगे भी शारजाह के आसमान में उड़ान भरती हैं। पचमढ़ी अप्रतिम सौंदर्य का प्रतीक है, तो माँ नर्मदा की अठखेलिया अमरकंटक से लेकर भेड़ाघाट, ओंकारेश्वर, महेश्वर में सभी की आस्था का केंद्र हैं। सांची के बौद्ध स्तूप और विदिशा में उदयगिरी की गुफाएं सदैव से देशी विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रही है। ओरछा, मैहर, सलकनपुर, देवास से लेकर भोजपुर, मानौरा और तरावली जैसे छोटे-छोटे गांव तक यहां धार्मिक आस्थाओं से भरे पड़े हैं। यहाँ देश विदेश से रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु अपनी आस्था के चलते यहाँ आते हैं। मध्यप्रदेश ने अपनी इन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को सदियों से अक्षुण्ण रखा है।अपनी प्राचीन सुस्थापित परंपराओं को जीवंत रखते हुए मध्यप्रदेश आधुनिकता के पथ पर भी सदैव गतिशील रहा है।

धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परम्पराओं से भरपूर ऐसे मध्यप्रदेश में अब ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। निसंस्देह यह आयोजन मध्यप्रदेश की असीमित क्षमताओं को संपूर्ण विश्व के सामने प्रस्तुत करने का स्वर्णिम अवसर है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस महत्वाकांक्षी आयोजन में विश्वभर के अनेक उद्योगपतियों, निवेशकों और नीति निर्माताओं को आमंत्रित किया गया है।

मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह देश के सारे प्रमुख बाजारों से सीधे जुड़ा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में यहां रेल सेवाओं के अलावा सड़‌क एवं हवाई सेवाओं का भी सारे देश से अच्छा संपर्क बन चुका है। इन अनुकूल परिस्थतियों में मध्यप्रदेश उद्योगों और व्यापार के लिए केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का भी कहना है कि मध्यप्रदेश ने अपनी ऐतिहासिक धरोहर को जीवंत रखा है और उसे आधुनिक विकास से जोड़ा है। यहां निवेश केवल आर्थिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण और सतत विकास का माध्यम भी हैं।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। भोपाल में पहली बार आयोजित इस सम्मिट से मध्यप्रदेश में जहां औद्योगिक क्रांति आएगी,वहीं लोगों को रोजगार और सरकार को भरपूर राजस्व भी मिलेगा। मध्यप्रदेश में उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार उनको कई तरह से प्रोत्साहन दे रही है। जिससे अधिक से अधिक निवेश यहां लाया जा सके। राज्य की आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 द्वारा निवेशकों को विभिन्न प्रकार की रियायतें और सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके तहत आईटी और आईटीईएस कंपनियों को 30 करोड़ रुपए तक की पूंजीगत सहायता राज्य सरकार करेगी। इसके साथ ही ईएसडीएम सेक्टर के निवेशकों को 150 करोड़ और डेटा सेंटर निवेशकों को 125 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि सरकार देगी। इन उद्यमियों को भूमि शुल्क में जहां 75 प्रतिशत की छूट रहेगी। वहीं स्टांप और पंजीकरण का शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ तक की मार्केटिंग सहायता और 15 करोड़ रुपये तक की रोजगार सहायता भी प्रदान की जाएगी। सरकार छोटे एवं मध्यम उद्यमों को विशेष अनुदान और टैक्स छूट के अतिरिक्त बिजली शुल्क प्रतिपूर्ति 2 रुपये प्रति यूनिट तक और 100 प्रतिशत बिजली शुल्क की छूट देने जा रही है।

 

सूचना प्रोद्यौगिकी में भी भरपूर अवसर

आज सूचना प्रौद्योगिकी अब केवल एक सेक्टर नहीं, बल्कि हर उद्योग की आधारभूत आवश्यकता बन चुका है। स्वास्थ्य से लेकर कृषि, शिक्षा, उद्योग सहित हर क्षेत्र में आईटी की महत्वपूर्ण भूमिका है। मप्र इस बदलाव का केंद्र बन रहा है। डिजिटल इंफास्ट्रक्चर, स्टार्ट अप्स और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मिलकर नए अवसरों को जन्म दे रहे हैं। राज्य सरकार की आईटी और ईएसडीएम नीति, डेटा सेंटर पार्क, आईटी पार्क्स और इनक्यूबेटर्स के विकास ने मप्र को तकनीकी निवेश के लिए आकर्षक स्थान बनाया है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहर आईटी कंपनियों के नए केंद्र बन रहे हैं। टीसीएस, इन्फोसिस, यश टेक्नॉलोजीज, इंपीट्स जैसी कंपनियां यहां पहले से ही हैं। अब 24-25 फरवरी को भोपाल में होने वाली जीआईएस में दश विदेश की अन्य विख्यात आईटी, आईटीइएस और ईएसडीएम सेक्टर की बड़ी कंपनियां शामिल होंगी। जिससे मप्र इस सेक्टर में भी नई ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा।

मध्यप्रदेश अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा, ब्लॉक-चेन और साइबर सिक्योरिटी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राज्य में 15 आईटी पार्क और 5 आईटी स्पेशल इकोनॉमिक जोन पहले से कार्यरत है। आने वाले वर्षों में इंदौर में क्रिस्टल आईटी पार्क-3 और 4 के साथ 50 एकड़ में डेटा सेंटर पार्क, जबलपुर में 1 लाख वर्गफुट का आईटी टॉवर और कई अन्य परियोजनाएं डिजिटल विकास को नई गति देंगी।

 

सीधा संपर्क 

मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति पूरे देश को सीधा और सुगम संपर्क प्रदान करती है। राज्य में 6 प्रमुख हवाई अड्डे और 6 इनलैंड कंटेनर डिपो मौजूद हैं, जिससे वैश्विक व्यापार को गति मिलती है। प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों और समर्पित फेट कॉरिडोर से जुड़ा। यह राज्य लॉजिस्टिक्स और परिवहन के लिए भी अनुकूल है।(विनायक फीचर्स)

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