ओबीसी समाज का हक़ मारने के लिए संविधान से भिड़ने पर अमादा ममता बनर्जी।

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पंकज कुमार मिश्रा, सम्पादक (नया अध्याय) राजनीतिक विश्लेषक जौनपुर यूपी।

ओबीसी समाज का हक़ मारने के लिए संविधान से भिड़ने पर अमादा ममता बनर्जी।

एक तरफ जहां राहुल गाँधी संविधान की किताब लेकर रैलियों में संविधान बचाने का शोर मचा रहें वहीं उनकी सहयोगी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संविधान से खिलवाड़ कर उसके विरुद्ध जाकर न्यायालय के खिलाफ खड़ी होकर अपने ही गठबंधन अर्थात विपक्ष के नकली एजेंडे, झूठ व अफवाह फैलाने के मंसूबे का पर्दाफाश कर दिया है।पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के घटक दल तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के द्वारा 2010 से 2024 तक राजनीतिक लाभ लेने के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के विभिन्न घटकों को ओबीसी समाज का आरक्षण काट कर के दिया गया जबकि मूल संविधान कहता है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता । बंगाल के हाईकोर्ट द्वारा स्वयं संज्ञान लेते हुए उस आरक्षण को खत्म किए जाने पर ममता ने हाई कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार करते हुए मुस्लिम समाज को आरक्षण दिए जाने को कहा यह ओबीसी समाज के लिए बड़ा झटका है और उनका हक़ मारा गया जिसपर ना अखिलेश यादव बोले ना राहुल गाँधी बोले क्योंकि इन्हे केवल जाति के नाम पर राजनीतिक रोटियां तोड़नी है ।

ममता बनर्जी ने स्थिति ऐसी सृजित किया कि पश्चिम बंगाल में स्थिति संकट वाली दिखे और भाजपा बदनाम हो। कोर्ट के खिलाफ जाकर ममता ने साबित कर दिया कि उनका भारत देश और उसके संविधान में कोई आस्था नहीं केवल गद्दी और गद्दार उनकी पसंद है। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि जजों के न्याय के खिलाफ सार्वजनिक कमेंट करने को लेकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा दे। राष्ट्रपति शासन लगा देने का मतलब ममता का गेम प्लान असफल हो जायेगा । अब तक विपक्ष फ्रंट फुट पर खेल रहा था पर अब भाजपा को लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की गुहार लगाने का बहाना मिल जाएगा। पश्चिम बंगाल में ओबीसी मतदाताओं से भाजपा की मरती शाख फिर से जिंदा हो जाएगी। उसका पिछडो में घटता जनाधार फिर से जीवित हो जाएगा। बीजेपी पिटती बाजी पलटकर जीत जाएगी। बीजेपी ने सन्देसखली से कलकुलेटेड गेम खेला था । आप ममता की गहरी राजनीतिक चाल को समझें।कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए अन्य पिछड़े वर्ग आरक्षण रद्द कर दिया है।कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से बंगाल में मुस्लिमों के करीब 5 लाख अन्य पिछड़ा वर्ग सर्टिफिकेट रद्द होंगे। तभी कोर्ट के आदेश के ऊपर जाकर मुख्यमंत्री रहकर आदेश की अवमानना कर गई। क्या अवमानना के लिए ममता को नोटिस नहीं मिलना चाहिए ! उन्हें जेल जाना पड़ सकता है किन्तु ऐसा होगा नहीं क्यूंकि सुप्रीम लोग नहीं चाहेंगे। कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद के ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। ममता सरकार ने 83 जातियों को शामिल कर दिया था। इनमें 73 जातियां मुस्लिम समुदाय से थीं। जिस न्यायाधीश ने पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण से बाहर करने का आदेश पारित किया, मैं उनका आदेश नहीं मानूँगी, मैं उस आदेश को कभी स्वीकार नहीं करूंगी वह बीजेपी से प्रेरित है । बंगाल में मुस्लिम ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी ये बोल ममता बनर्जी ने अपना असली चेहरा दिखा दिया जिसके बाद देश भर के ओबीसी समुदाय में आक्रोश का माहौल हैं। वैसे यहीं ये है इंडी अलायन्स के मंसूबे। कहाँ गए आरक्षण के पक्षधर लोग जो चिल्लाते थे मोदी आरक्षण ख़त्म कर देगा और अफ़वाह फैला रहे है । क्या वे ममता दीदी का विरोध कर पाएँगे । जो दलित पिछड़ों आदिवासियों के हक़ का आरक्षण मुस्लिमों में बाँटना चाहती है ! ममता दीदी ने हाई कोर्ट के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया। इसके साथ ही अपनी नकली आवाज को बुलंद करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह अदालत का सम्मान करती हैं, लेकिन मुस्लिमों को ओबीसी आरक्षण से बाहर रखने वाले फैसले को वह स्वीकर नहीं करेंगी। दोहरा चरित्र है यह। ममता बनर्जी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा, क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया जबकि धर्म के आधार पर आरक्षण गैरसंवैधानिक है। ममता ने आज की राजनीतिक मर्यादा का निचला स्तर छू लिया। बिलो द बेल्ट पॉलिटिक्स से भी नीचे वाला स्तर। संविधान का अपमान करती साफ दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट का अपमान करती साफ दिख रही है। अपने जैसी चुनी हुई दूसरी सरकारों का असम्मान करती हुई साफ दिख रही है। अपने बराबर के मुख्यमंत्रियों का अपमान करती हुई साफ दिख रही है। केंद्र सरकार का असम्मान करती हुई साफ दिख रही है। सीबीआई का असम्मान करती हुई साफ दिख रही है। केंद्रीय सुरक्षा बलों का असम्मान करती साफ दिख रही है। सत्य का असम्मान करती साफ दिख रही है। नैतिकता के विरुद्ध खड़ी साफ दिख रही है। न्याय के विरुद्ध खड़ी साफ दिख रही है। कानून के विरुद्ध खड़ी साफ दिख रही है। कोर्ट के विरुद्ध खड़ी साफ दिख रही है। राजनीतिक सुचिता के विरुद्ध खड़ी साफ दिख रही है। भ्रष्टाचार के पक्ष में सीधा सीधा उतर आई है। ममता ने व्यर्थ में पॉलिटिक्स करते हुए मोदी पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। जाँच पर से लोगों का ध्यान भटकाना शुरू कर दिया है। सीबीआई पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।ममता के खिलाफ इस एपिसोड में न मोदी का कोई रोल है। न केंद्र सरकार का कोई रोल है। न सीबीआई का कोई रोल है। न ही राजनीति का कोई मामला है। कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी पर फंसीं ममता बनर्जी।

पश्चिम बंगाल सरकार ने 25753 टीचर और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध ठहराने के कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, लेकिन इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कथित टिप्पणी उनकी मुश्किलें बढ़ा सकती है। दावा किया जा रहा है कि बीरभूमि लोकसभा के अंतर्गत वर्धमान के एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी ने अदालत खरीद ली है। रिपोर्टों के अनुसार, उच्च न्यायालय को बेच दिया गया जैसी टिप्पणी करने का दावा किया गया है। अदालत को बिका हुआ बताने के आरोप को लेकर अदालत ने वकील विकासरंजन भट्टाचार्य, अनिंद्य सुंदर दास और कौस्तब बागची द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं के आधार पर मामले को स्वीकार कर लिया। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली अदालत की प्रशासनिक शाखा यह तय करेगी कि मामले की सुनवाई कौन सी पीठ करेगी।

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