श्रीनगर: देवेन्द्र गौड़
उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार जशवंत सिंह कटोक्ष पदमश्री पुरुस्कार से अंलकृत होने के बाद वापस गांव आने पर ग्रामीणों ने भव्य सम्मान समारोह एवं भोज का आयोजन् किया ।
जिसमे तमाम क्षेत्र के समाजिक सरोकारों से तालूकात् रखने वाले बुद्धि जीवियों ने बढ,चढ का समारोह मे भाग लिया कार्यक्रम मे पहुंचे श्रीनगर नगरपालिका के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष एवं हिमालय परिषद एवं साहित्य कला श्रीनगर के फाउंडर कृष्णानंद मैठाणी ने कहा कि जशवंत ने उत्तराखंड के उन तमाम संस्कृति,संस्कारों बोली, भाषा एवं झज्जर होती धरोहरों पर गहन् शोध करके लीपिबद्ध किया जिसको आज विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थानों पढाया जाता है श्री मैठाणी ने कहा कि जशवंत चाहते तो वह किसी नगर व शहर मे रहकर अध्ययन कर सकते थे लेकिन उन्होंने तमाम सुखसुविधाओं को दरकिनार करते हुऐ गांव की बातो को गांव बैठकर लिखी जो एक प्रेरणादायक है इसीलिये उनको माटी के लाल से जाना जाता है। पदमश्री जशवंत सिंकी मुख्य पुस्तकों मे मद्य हिमालय की कला,उत्तराखंड का नवीन् इतिहास, सिंग की ग्रंथावली,भजनसिंह का सिंगनाद् सहित् एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की चुके हैं तथा ….
इस संबंध मे पदमश्री से सम्मानित जशवंत सिंह ने कहा कहा