लेखक: हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश
वीरगति दिवस विशेष
हवलदार शिव नारायण सिंह कीर्ति चक्र(मरणोपरान्त)
आज़ादी के बाद से ही हमारे पडोसी देश पाकिस्तान कि कुदृष्टि धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर पर रही है। वह रणनीतिक महत्व के इस प्रदेश पर किसी भी तरह कब्ज़ा जमाना चाहता है। इसके लिए वह आज़ादी के बाद से तीन घोषित और एक अघोषित युद्ध लड़ चुका है । अब तक हुए युद्धों से वह भलीभांति जान चुका है कि आमने सामने की लड़ाई में वह जीत हासिल नहीं कर सकता । इसलिए छदम युद्ध का सहारा लेकर वह अपने इस दिवा स्वप्न को प्राप्त करना चाहता है । इसके लिए उसने अपने देश के बेरोजगार नौजवानों को आतंकवादी बनाकर जम्मू कश्मीर में जिहाद के नाम पर भेजकर अस्थिरता फैलाना शुरू कर दिया ।
22 मई 1994 को 04:00 बजे विशिष्ट सूचना के आधार पर, कैंप कमांडर की त्वरित प्रतिक्रिया टीम को लेफ्टिनेंट कर्नल हरविंदर सिंह, कैंप कमांडेंट, मुख्यालय 19 माउंटेन ब्रिगेड कैंप की कमान के तहत विड्डीपुरा गांव में लॉन्च किया गया। कमांडर की त्वरित प्रतिक्रिया टीम में 27 राजपूत के जवान थे। प्राप्त सूचना के आधार पर संदिग्ध घरों को घेर लिया गया और सुबह 05 :15 बजे घरों की तलाशी शुरू हुई। एक संदिग्ध घर की तलाशी के दौरान छत पर छिपे दो आतंकवादियोँ ने तलाशी ले रहे सैनिकों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। इस गोलीबारी में हवलदार शिव नारायण सिंह की ठोढ़ी पर बायीं ओर गोली लग गई और वह घायल हो गए। इसके बाद एक आतंकवादी ने छत से नीचे छलांग लगा दी और हवलदार शिव नारायण सिंह पर नजदीक से फायर करने लगा। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद हवलदार शिव नारायण सिंह ने हिम्मत से काम लिया और आतंकवादियों पर गोलीबारी जारी रखी। हवलदार शिव नारायण सिंह ने अपनी कारगर और सटीक गोलीबारी से दोनों आतंकवादियों को मार गिराया।
हवलदार शिव नारायण सिंह को इलाज के लिए तुरंत एडवांस ड्रेसिंग स्टेशन ले जाया गया। ज्यादा गहरे घाव और अधिक मात्रा में रक्तस्राव के कारण हवलदार शिव नारायण सिंह वीरगति को प्राप्त हो गये। बाद में मारे गए आतंकवादियों की पहचान हिजबुल मुजाहिदीन समूह के गुलाम मोहम्मद यातू और मोहम्मद अकबर यातू के रूप में हुई। इस कार्यवाही में हवलदार शिव नारायण सिंह ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता न करते हुए आतंकवादियों को किसी भी हालात में मार गिराना अपनी प्राथमिकता समझा और मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया । उन्होंने इस पूरी कार्यवाही में विशिष्ट बहादुरी, असाधारण वीरता, साहस और निर्भीकता का परिचय दिया। उनकी इस असाधारण वीरता और साहस के लिए उन्हें 22 मई 1994 को मरणोपरान्त “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया।
हवलदार शिव नारायण सिंह का जन्म 30 जुलाई 1960 को जनपद हमीरपुर के गांव गिमुंहा रिठोरा में श्रीमती विन्दी देवीऔर श्री शीतल प्रसाद के यहां हुआ था। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला गिमुंहा रिठोरा और उच्च शिक्षा श्री विद्या मंदिर इंटर कालेज हमीरपुर से पूरी की और 04 अक्टूबर 1978 को भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हो गये। प्रशिक्षण के उपरान्त 27 राजपूत रेजिमेंट में पदस्थ हुए। इनके परिवार में इनकी दो बेटियाँ – अर्चना सिंह और आरती सिंह तथा एक पुत्र – शिव विमल सिंह हैं।
हवलदार शिव नारायण सिंह जनपद हमीरपुर के अकेले कीर्ति चक्र विजेता हैं, लेकिन देश कि राल्क्षा में अपने प्राणों कि आहुति देने वाले इस वीर की वीरता को याद रखने के लिए सरकार तथा स्ठानीय प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है । इनके बेटे शिव विमल सिंह का कहना है कि यदि सरकार उनके गाँव को जाने वाली सड़क का नामकरण हवलदार शिव नारायण सिंह, कीर्ति चक्र के नाम पर करवाकर एक शौर्य द्वार का निर्माण करवा दे तो हमारा परिवार और गाँव के लोग गर्व का अनुभव करेंगे और हमारे गाँव के युवा ही नहीं बल्कि आसपास के गाँव की नयी पीढ़ी हमारे पिताजी की वीरता से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए उन्मुख होगी ।