शिव शंकर सिंह पारिजात,
(पूर्व जनसंपर्क उपनिदेशक एवं इतिहासकार)
पुस्तक समीक्षा
मानव व्यवहार की गहराई को समझने का सार्थक प्रयास है “अपराध मनोविज्ञान: एक परिचय”।
अपराध मनोविज्ञान वस्तुत: अपराधियों और संदिग्धों के विचारों, इरादों, कार्यों और प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है। जिसकी आज के दौर में अपराध नियंत्रण एवं कानूनी अदालतों सहित समाज सुधार तथा अपराधिक व्यवहार में लिप्त लोगों के मनोवैज्ञानिक आकलन में महत्वपूर्ण भूमिका है। सामान्यतः सार्वजनिक कानून द्वारा दंडनीय व्यवहार, अनैतिक माना जाने वाला व्यवहार, सामाजिक मानदंडों या परंपराओं का उल्लंघन करने वाला व्यवहार या गंभीर मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुँचाने वाले कार्य आपराधिक व्यवहार की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
डॉ. राजेश कुमार तिवारी द्वारा लिखित सद्य: प्रकाशित “अपराध मनोविज्ञान: एक परिचय” शीर्षक पुस्तक अपराधिक कार्यों के पीछे की मनोवैज्ञानिक जटिलताओं का पता लगाने तथा मानव व्यवहार को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। सम्प्रति टी एन बी कालेज के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष तथा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रखर सीनेट सदस्य पुस्तक के लेखक डॉ. राजेश कुमार तिवारी एक ख्यातिप्राप्त विधि-विशेषज्ञ रहे हैं। अपने लंबे शैक्षणिक और विधिक अनुभव व सक्रिय सामाजिक सरोकारों के समस्त अनुभवों को पिरोकर डॉ. तिवारी ने प्रस्तुत पुस्तक में मानव मन के उन अंधेरे कोनों को टटोलने का सक्षम प्रयास किया है कि आखिर क्या किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिये प्रेरित करता है? किन मायनों में अपराधियों का मनोविज्ञान समाज के बाकी लोगों से भिन्न है? डॉ. तिवारी का यह विश्लेषणात्मक अन्वेषण इस पुस्तक की उपयोगिता व अनिवार्यता को प्रतिस्थापित करता है। हाल ही में एक समारोह में पुस्तक का लोकार्पण ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर संजय कुमार चौधरी, भागलपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर सलाउद्दीन अहसान, एस एस वी कालेज कहलगांव के प्रिंसिपल डॉ. मिहिर कुमार मिश्र, लेखक की माता वरिष्ठ साहित्यकार मीना तिवारी एवं इतिहासकार शिव शंकर सिंह पारिजात द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। 12 अध्यायों में लिखी 360 पृष्ठों वाली यह पुस्तक कानून तोड़ने वालों के दिमाग की रोचक पड़ताल करती है जो अपराध नियंत्रण में कार्यरत कर्मियों व न्यायालय से जुड़े लोगों के साथ अनुभवी पेशेवरों जिज्ञासु छात्रों के लिये उपयोगी होगी जो अपराध की मनोवैज्ञानिक जड़ों को समझना चाहते हैं।
पुस्तक के सारगर्भित अध्यायों में जहां आपराधिक व्यवहार के सिद्धांत के साथ अपराध और अपराधियों के प्रकार पर प्रकाश डाला गया है। वहीं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और प्रोफाइलिंग, मानसिक विकार और अपराध तथा केस स्टडीज शीर्षक अध्यायों में अकादमिक विश्लेषण किये गये हैं। समसामयिक चुनौतियों के मद्देनजर अपराध के उभरते रुझान शीर्षक अध्याय अपराध के क्षेत्र को आकार देने वाली नवीनतम विकास पर नवीनतम जानकारियों को समेटे हुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक आपराधिक मनोविज्ञान की केवल एक किताब मात्र नहीं है, अपितु यह मानव व्यवहार की गहराई में यात्रा करने व आपराधिक दिमाग की गहन समझ हासिल करने का एक सार्थक प्रयास है। जो सुधि पाठकों, अपराध नियंत्रण में लगे पुलिस प्रशासन, न्यायिक पदाधिकारियों, तथा जेल प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के साथ शोधकर्ताओं के लिये उपयोगी सिद्ध होगा। (विनायक फीचर्स)