नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश है

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देहरादून। प्रदेश में नगर निकायों के चुनावी समर में कांग्रेस को सशक्त और जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश है। ऐसे में नगर निगमों में महापौर के पदों पर पूर्व विधायकों और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों पर पार्टी दांव खेलने की तैयारी में है। इस संबंध में अंतिम निर्णय जिला पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा। पर्यवेक्षक 25 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं।

प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी हो चुकी है। सात दिन में आपत्तियों का निराकरण होने के बाद अंतिम अधिसूचना जारी होते ही आरक्षण को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। कुल 105 में से 102 नगर निकायों में चुनाव होने हैं। इनमें 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 46 नगर पंचायतें हैं।

इसे ध्यान में रखकर कांग्रेस अपनी रणनीतिक तैयारी को धार देने में जुटी हुई है। मुख्य विपक्षी दल इन चुनावों को अगले विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत सेमीफाइनल के रूप में ले रही है। विशेष रूप से शहरी मतदाताओं पर पैठ मजबूत करने के लिए पार्टी इसे महत्वपूर्ण अवसर मान रही है।

इस बार अधिक नगर निगमों में सफलता पाने के लिए पार्टी पूर्व विधायकों और विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने निकायों में पार्टी के साथ टिकट पाने की दौड़ में सम्मिलित दावेदारों की स्थिति का आकलन करने के लिए जिलेवार पर्यवेक्षकों की तैनाती की है। इन पर्यवेक्षकों की सूची में दो बार परिवर्तन भी किया जा चुका है। अब पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट मिलने की प्रतीक्षा है।

जिला पर्यवेक्षक ओबीसी आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी होने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन को सौंप सकते हैं। 25 दिसंबर तक यह रिपोर्ट मिल सकती है। इसके बाद जिलेवार रिपोर्ट पर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के साथ बैठक कर प्रत्याशियों के चयन पर निर्णय लिया जा सकेगा। पार्टी हाईकमान भी नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षा कर रहा है। कांग्रेस के सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा 23 दिसंबर के बाद निकाय चुनाव तक उत्तराखंड में डेरा डाल सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि ओबीसी आरक्षण की अंतिम अधिसूचना की प्रतीक्षा की जा रही है। अंतिम आरक्षण तय होने के बाद जिला पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट से प्राप्त इनपुट के आधार पर प्रदेश संगठन और वरिष्ठ नेता मिलकर प्रत्याशियों के चयन के संबंध में निर्णय करेंगे।

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