हेमन्त खुटे।
शतरंज की दुनिया के नए बादशाह – डी. गुकेश।
सफलता उसी को मिलती है जिसमें अदम्य उत्साह, लगन और कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता हो। यदि मनुष्य चाहे तो कठिन से कठिन कार्य भी पूरा कर सकता है।कहा भी जाता है कि जहां चाह वहां राह। इसी मुहावरे को चरितार्थ कर दिखाया गुकेश ने। गुकेश को विश्व शतरंज का खिताब जीतना था और उसने इसके लिए रात-दिन एक किया और आखिरकार उन्हें अद्भुत व ऐतिहासिक सफलता मिली।
भारत ने शतरंज की वर्ल्ड चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया है। भारत के शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। 18 साल की उम्र में विश्व विजेता का खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले खिलाड़ी हैं।
देश का किया नाम रोशन
विश्वनाथन आनंद के बाद गुकेश ने अपनी प्रतिभा व कड़ी मेहनत के बलबूते सिंगापुर में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को 14 बाजियों की श्रृंखला में 7.5 – 6.5 के अंतर से हराकर शतरंज की दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है । इससे पहले वर्ष 2012 में विश्वनाथन आनंद वर्ल्ड चैंपियन बने थे ।
जीत की खुशी में छलके आंसू
आंसू मन का दर्पण होता है। आंसू हमारे मन की गहराइयों से जुड़े होते हैं। इस स्पर्धा की 14 वीं व अंतिम बाजी जब खेली जा रही थी तभी उसके अंत में खेल में मिली जीत की अद्भुत सफलता के बाद गुकेश भावुक हो गए और उनकी आंखों से भावनात्मक आंसू निकल पड़े। वर्ल्ड चैंपियन बनते ही गुकेश बोर्ड पर रोने लगे थे।
गुकेश बोले – मेरे जीवन का बेस्ट मोमेंट
मैच समाप्ति के बाद गुकेश ने कहा कि लिरेन का ब्लंडर (भयंकर भूल) मेरे जीवन का बेस्ट मोमेंट रहा। जब उन्होंने ब्लंडर किया तब मुझे समझ नहीं आया । मैं अपनी नॉर्मल चाल चलने वाला था तभी मैंने देखा कि उनका हाथी मेरे हाथी के निशाने पर है मैंने उसे मारा और अपने ऊंट से उनके ऊंट को पीट दिया। मेरे पास एक पैदल ज्यादा बचना ही था आखिर में वह बचा और लिरेन ने रिजाइन कर दिया।
सपना हुआ साकार
गुकेश ने 11 साल की उम्र में अपनी इच्छा जाहिर की थी कि उन्हें सबसे कम उम्र का वर्ल्ड चैंपियन बनना है और उन्होंने यह कमाल कर दिखाया।बचपन के देखे इस बड़े सपने को अल्प समय में उन्होंने साकार किया।
छोटी उम्र में गुकेश के बड़े कारनामे
2015 में 9 साल की उम्र में एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप जीती।
2017 में 11 साल की उम्र में इंटरनेशनल मास्टर बने।
2018 में अंडर – 12 कैटेगरी में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का टाइटल जीता।
2019 में 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने।
2022 में गुकेश एमएच रैपिड चेस टूर्नामेंट में मैग्नस कार्लसन के विश्व चैंपियन बनने के बाद उन्हें हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने थे ।
2023 में शतरंज की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग 2750 तक पहुंचने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने।
2024 में 17 साल की उम्र में फीडे कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा प्लेयर बने ।
2024 में सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चैंपियन ।
माता-पिता का त्याग
गुकेश को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उनके माता-पिता को भी काफी त्याग करने पड़े। जब मुकेश ने शतरंज में बेहतर करना शुरू किया तब उनके पिता रजनीकांत जो कि पेशे से डॉक्टर थे उन्होंने अपना क्लीनिक बंद कर दिया था । दरअसल वे विदेश में टूर्नामेंट हेतु गुकेश के साथ जाने के कारण मरीजों को समय नहीं दे पा रहे थे।क्लीनिक के बंद होने से पारिवारिक खर्च का बोझ मां पद्मा पर आ गया।
एक साल में 250 टूर्नामेंट मैच खेलते हैं गुकेश
गुकेश के पिता के अनुसार गुकेश एक साल में लगभग 250 टूर्नामेंट मैच खेल लेते है जबकि अन्य खिलाड़ी 150 मैच भी नही खेल पाते है।
सतरंगी रहा भारतीय शतरंज के लिए वर्ष 2024
10 से 23 सितंबर 2024 तक इसी साल बुडापेस्ट में चेस ओलिंपियाड का आयोजन हुआ था। भारत ओपन और विमेंस दोनों कैटेगरी में चैंपियन बना था । ओपन कैटेगरी में गुकेश ने ही फाइनल गेम जीतकर भारत को जीत दिलाई थी। भारत ने चेस ओलंपियाड के 97 साल के इतिहास में पहली बार दोनों कैटेगरी में पहला स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2024 के अंत में गुकेश ने हम सभी को विश्व शतरंज का खिताब जीतकर अनमोल तोहफा दिया है। (विनायक फीचर्स)