पंकज सीबी मिश्रा (प्रभारी सम्पादक) मिडिया के राजनीतिक विश्लेषक जौनपुर, उ. प्र.।
अम्बेडकर पर छूठ का नेरेटिव गढ़ने वाले लोग।
पहले दलितों के संबंध में दो प्रकार के नैरेटिव बनाए जाते थे, पहला नैरेटिव था कि दलित समाज के साथ दुर्व्यवहार इसलिए होता है क्यूंकि वह गरीब हैं, जबकि दूसरा नैरेटिव यह था कि समाज की दुर्व्यवस्था का मुख्य कारण ब्राह्मण है जो दलित समाज का दोहन करता है पर बात तार्किक विश्लेषण की है जहां देश पर काफ़ी लम्बे समय तक मुश्लिम, अंग्रेजो और अन्य वंशी राजाओं नें शासन किया तो फिर ब्राह्मण को राजनीति का मुद्दा बनाकर क्यों परोसना! दलितों की सोच को बहुत पीछे करने की साजिश और वोट बैंक बनाने को लेकर सपा बसपा कांग्रेस द्वारा यही मनगढ़ंत कहानी रह गई कि सवर्ण अम्बेडकर विरोधी है और यह व्यवस्था ऐसी है कि कोई दलित पैसा शोहरत आदि कमा ले तो भी वह दलित ही रहेगा जबकि तथाकथित उच्च वर्ग उनके नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार करें भले उनके नेता बदतमीजी पर उतारू हो। सच बात यह है कि पहला नैरेटिव झूठा था और दूसरा उससे बड़ा झूठा। राजनीति में इतिहास देखिए तो अंबेडकर जी और कांग्रेस में इतना अगाध टक्कर था कि जहाँ से अंबेडकर जी चुनाव लड़ते थे वहाँ से कांग्रेस एक मज़बूत कैंडिडेट उतार देती थी और अंततः यदि वह जसोर से योगेंद्र नाथ मंडल के कहने पर चुनाव लड़े तो वहाँ न केवल कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी उतार दिया बल्कि उस चुनाव में जमकर लठैती भी की। अगर पुराने सूचनाओं और सूत्रों की माने तो कांग्रेसी गुंडों ने शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के मतदाताओं पर लाठी तक भजवाई थी लेकिन भला हो पुराने पीडीए और आदिवासी मतदाताओं का जिन्होंने कांग्रेस के लाठी से डरे बिना मतदान किया और डॉ अंबेडकर को अंततः जनप्रतिनिधि बनाया। कांग्रेस आज भी बैलट पेपर की माँग कर रही है, शायद लोगों को ध्यान नहीं तब सत्ता पक्ष ने अंबेडकर जी को चुनाव में हराने के लिए बाहुबल का प्रयोग किया था औरकहीं कहीं से तो बैलेट का बंडल तक गायब करा दिया। अभी पिछले दिनों, लोकसभा चुनाव में भाजपा के मेजॉरिटी में आते ही संविधान बदलने का हवाला देकर जनता को मुर्ख बनाने वाले कांग्रेस ने फिर से अपना पुराना हथियार चला है काटछाट वाला। गृहमंत्री अमित शाह के अम्बेडकर अम्बेडकर वाले बयान को काट छांट के कांग्रेस प्रोपोगेंडा चलाना चाह रही जबकि अमित शाह नें स्पष्ट तौर पर यह कहा कि आज जो ये लोग अंबेडकर जी की माला जप रहे थे लेकिन जब वह जीवित थे तब इन लोगों ने उनका हर तरह से अपमान और तिरस्कार किया। इस पर तमाम बहुजनवादी लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है लेकिन अच्छी बात यह है कि वह प्रतिक्रिया पागलपन जैसी नहीं है क्यूंकि वह सभी संदर्भ समझ रहे हैं और उन्हें पता है कि अंबेडकर जी के सम्मान में जो कुछ हुआ है वह सब ग़ैरकांग्रेसी सरकारों के द्वारा ही हुआ है। कांग्रेस तो अम्बेडकर जी से इतनी घृणा करती थी कि जिस जसौर ने उनको जिताकर संसद में भेजा था, उसे अंग्रेजों द्वारा भारत को दिए जाने पर भी लेने से इनकार कर दिया गया और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को दे दिया। ये ऐतिहासिक घटना है जो लोग जानते नहीं हैं वो सर्च कर लें। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के विरोध के बावजूद जसौर ने जब अंबेडकर जी को चुन लिया तो पूरे जसौर को ही कांग्रेस ने अछूत बना दिया था। सारी सरकारे अपने राज्य विस्तार के लिए परेशान होती हैं लेकिन तब नेहरू ने जसौर को गुस्से के कारण अपनाने से मना कर दिया। याद रखिए कि यदि जसौर ने बाबा साहेब को चुनकर भेजा नहीं होता तो किसी भी क़ीमत पर आज आपको संविधान का किताब लहराने का मौका नहीं मिलता। नेहरू उनको न तो संविधान सभा में घुसने दे रहें थे। तब संविधान सभा के सवर्ण नेताओं नें ही अम्बेडकर को कांग्रेस के ऊपर तरजीह दी। पीढ़ी बदल रही है आप इतिहास नहीं छुपा सकते लेकिन आपका चरित्र वहीं हैं। कांग्रेस के पास दलित नेतृत्व के रूप में दो विकल्प थे, पहले जगजीवन राम जो पहला नैरेटिव बनाते थे और दूसरे अंबेडकर जी जो दूसरे नैरेटिव का वीरोध करते थे, कांग्रेस ने बाबू जगजीवन राम को चुना और अंबेडकर जी को किनारे लगा दिया क्यूंकि कांग्रेस समाज में यथास्थित बनाये रखना चाहती थी जिससे स्थापित परिवारों को फ़ायदा मिलने वाला था। बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर तूफान मचा है। राज्यसभा में अमित शाह द्वारा दिए गए भाषण के बीच से एक क्लिप काटकर कांग्रेस ने वायरल कर दी। संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ । अमित शाह को यह कहते हुए दिखाया गया कि अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर करते रहते हो, इतनी बार भगवान का नाम लिया होता तो सात पीढ़ियां तर जाती।
अब मेरे हिसाब से यह बात तो ठीक है, जिस कांग्रेस ने अंबेडकर को आजीवन दर्द दिए, कांग्रेस सरकार के रहते उन्हें भारतरत्न नहीं देने दिया, जिन्हें मंत्रिमंडल से निकलने पर मजबूर किया, अपनी पार्टी से लड़ने के समय उन्हें दो बार संसदीय चुनाव हराया, वही कांग्रेस अब तूफान मचा रही है। नेहरू जी ने तो उनका इतना अपमान किया कि अंबेडकर के जन्मस्थल मऊ में उनकी प्रतिमा तक नहीं लगाने दी आज वह विधानसभा घेर रही तो क्या जनता को वह मुर्ख समझ रही या उसे अब 2050 तक सत्ता में ना आने का डर सता रहा। आज विपक्ष भले ही अंबेडकर को अपना भगवान बता रहा हो, अंबेडकर स्वयं घोर नास्तिक थे और भगवान को मानते नहीं थे पर ब्राह्मणवादी थे, वो दूरदर्शी थे । कांग्रेस की लगातार उपेक्षा के कारण अंबेडकर ने हिन्दू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया किन्तु हिंदुत्व को सदा सर्वश्रेष्ठ माना। अंबेडकर ने नेहरू पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस का मुसलमानों के प्रति इतना रुझान है कि वे दलितों की बार बार उपेक्षा करते हैं। नाराज होकर कानून मंत्री रहते हुए उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। कमाल की बात है कि जिस कांग्रेस ने आजीवन बाबा साहेब का अपमान किया, वह कल से अंबेडकर को भुनाने की कोशिश कर रही है। मुस्लिम वोटों को साधने के बाद बिछड़ते जा रहे दलित वोटों को हासिल करने के लिए कांग्रेस कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। दलितों के वोट पाने की लालसा में राज्यों में अलग अलग चुनाव लड़ने वाला पूरा विपक्ष अंबेडकर के मुद्दे पर एक हो गया है। मौके की गंभीरता को भांपकर बीजेपी के कईं नेताओं ने बयान जारी किए। अमित शाह तक को सफाई देनी पड़ रही। कांग्रेस नें एक ऐसा ही झूठा नेरेटिव और कांट छाट विडिओ का प्रयोग कर चुनाव में भाजपा को 400 पार जाने से रोक लिया पर संविधान संविधान खेलने वाले विपक्ष को अब अगलें कई चुनावों तक अंबेडकर अंबेडकर खेलने का मौका जरूर मिल गया है। जो भी हो, एक बात साफ हो गई है। इस देश से आरक्षण अब 100 साल तक भी समाप्त होने के आसार नहीं। भले ही 50% आरक्षण के आधार पर 100% आरक्षित आबादी क्रीमी लेयर को भी पार कर उच्च वर्ग से भी कईं गुना अमीर हो जाए, उस वर्ग का आरक्षण कभी समाप्त नहीं होगा। भारत यदि आगे चलकर अमेरिका को पछाड़ते हुए एक नम्बर की अर्थव्यवस्था क्यूं न बन जाए, आरक्षण और अम्बेडकर के बौद्धता को खत्म करने की बात कोई नहीं करेगा। अभी भी दलित समाज में करोड़पति कम नहीं हैं। सुप्रीमकोर्ट के क्रीमी लेयर को अलग करने आदेश की मोदी सरकार ने जिस तरह धज्जियां उड़ाई, वह हाल ही की बात है। वोटबैंक से जुड़ा आरक्षण तमाम पार्टियों को नचाता रहेगा, यह तय है ।
अम्बेडकर को हथियार बनाने का सबसे बड़ा कारण यहीं था कि वह यथास्थितिवादी झूठे नैरेटिव के पक्ष में कभी नहीं थे। इसी कारण कांग्रेस सावरकर से भी नफ़रत करती थी क्यूंकि वह इन रूढ़ियुक्त मान्यताओं के ख़िलाफ़ थे।अंबेडकर जी से संबंधित सम्पादित वीडियो चलाने पर गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा संसद के बाहर और भीतर दोनों जगह इस पर कानूनी कार्यवाई करेगी।