सुमन शर्मा, अध्यापिका, दिल्ली सरकार।
दिल तो पागल है; तर्कपूर्ण सत्य या भ्रम।
वैदिक ज्योतिषी के अनुसार काल पुरुष की कुंडली में बारह घर (भाव) पाए जाते हैं। कुंडली का चौथा भाव (घर) काल पुरुष का दिल हैं l दिल अर्थात यह भाव मनुष्य की भावनाओं और संवेदनाओं का घर हैं। इस चौथे भाव में कर्क (4 अंक) राशि का स्थान हैं। कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं।
इस दृष्टि से चंद्रमा भावनाओं और संवेदनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह हैं। कर्क राशि जल तत्वीय राशि हैं। जल एक ऐसा तरल हैं जिसमें बहुतायत में अन्य द्रव्य व ठोस सहजता से मिल जाते हैं। इसलिए इस राशि से प्रभावित व्यक्ति भी लघु समयावधि के लिए हर स्थान पर समंजित हो जाते हैं। यहाँ ध्यान दीजिए कि लघु समयावधि शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया हैं क्योंकि जल अस्थिर होता हैं और सदा बहता रहता हैं। अत: इस राशि से प्रभावित व्यक्तियों में ‘स्थिरता’ का अभाव रहता हैं l हम सब जानते हैं कि एक व्यक्ति की भावनाएँ कभी भी स्थिर नहीं रहती। जैसे-जल में सदा लहरें उठती रहती हैं वैसे ही दिल में भी भावनाएँ हमेशा गतिमान रहती हैं। यहाँ सरलता से यह भी समझा जा सकता हैं कि इस राशि के व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए तर्क आधारित स्थायी और ठोस निर्णय नहीं ले पाते। वरन इनके निर्णयों में भावनात्मकता का पुट अधिक पाया जाता हैं। अति भावनात्मक और संवेदनशील होने के कारण इनके व्यक्तित्व, सोच और व्यवहार पर दूसरे व्यक्तियों की सोच और व्यवहार का अच्छा और बुरा प्रभाव बहुत सरलता से पड़ जाता हैं। इस प्रभाव को कर्क राशि के व्यक्तियों के शब्दों और आचरणों में आसानी से पहचाना जा सकता हैं।
अंकशास्त्र के अनुसार अंक – 4 का स्वामी ग्रह राहू हैं। राहू व्यक्ति के जीवन में भ्रम, जुनून, उलझन की स्थितियाँ उत्पन्न करता हैं, जिसके कारण व्यक्ति घटनाओं और अनुभवों को तर्क के आधार पर न देख पाता हैं और न समझ पाता हैं। राहू के प्रभाव विशेषकर नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति स्थितियों का सही चिंतन, मनन और विश्लेषण नहीं कर पाता। इसके परिणाम स्वरुप वह सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाता। प्राय: ऐसा पाया गया हैं कि राहू से प्रभावित व्यक्ति अक्सर दूसरों के बहकावे में बहुत जल्द आ जाता हैं। उसके विचारों और महत्वपूर्ण निर्णयों पर दूसरों का प्रभाव सरलता से जाना और पहचाना जा सकता हैं।
दोनों स्थितियों को समन्वित रूप से देखने पर हम जान पाते हैं कि चंद्रमा और कर्क राशि का साथ अर्थात अति भावनात्मकता, व्यक्ति दिल से सोचेगा और उस पर 4 अंकीय राहू, भावनाएँ तर्क रहित, उलझन से भरी और दूसरों की सलाह के प्रभाव में रहेंगी। अत: व्यक्ति जीवन की घटनाओं और अनुभवों के प्रति हमेशा एक अस्पष्ट स्थिति में रहेगा। वो कहते हैं न कि राहू का साथ दिल की भावनाओं और व्यक्ति की संवेदनशीलता को उद्वेलित कर देता हैं। भावनाएँ भ्रम में उलझ कर बेकाबू हो जाती हैं। राहू व्यक्ति को अति ऊर्जा से भर देता हैं और इसलिए व्यक्ति में एक जूनून की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती हैं। ये जूनून व्यक्ति को प्राय: अतिवादी बना देता हैं। भावनाएँ अतिवादी हो जाए तो मेरे प्रबुद्ध पाठक समझ सकते हैं कि ‘दिल तो पागल ही हैं’।
अंकशास्त्र और ज्योतिष अध्ययन के आधार पर मुझे यहीं तथ्य समझ आया कि ‘दिल तो पागल हैं’।