गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां(राजस्थान)
यही तुम्हारी तरक्की की राह है
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जो हुआ वह अच्छा ही हुआ,
उसमें तुम्हारा कसूर भी क्या था,
जब राजी था उसका दिल इस पाप को,
तो क्यों तू शर्मशार होता है इससे।
अगर अब वह करता है मना,
इसको वह दुबारा दोहराने से,
क्यों दोहराता है तू भी यह काम,
बदनामी आखिर उसकी ही होगी।
मत कर अपना दिल छोटा,
कि उसने तेरा ख्वाब पूरा नहीं किया,
क्योंकि जीत चुका है तू उससे बाजी,
और लग लगा है दाग उस पर तुम्हारा।
अगर अब उसको आती है हंसी,
फैसला तुम्हारे द्वारा बदलने पर,
निराश होने की तुमको जरूरत नहीं है,
झुकना होगा उसको ही एक दिन।
अगर छोड़ दी तुमने जिद उसको पाने की,
और तोड़ लिया उससे अब वास्ता,
नहीं हुई है तुम्हारी कुछ भी बर्बादी,
तू आबाद ही होगा सच,
यही तुम्हारी तरक्की की राह है।