बागेश्वर के पिंडारी ट्रैकिंग रूट से घायल को लाते जवान

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बागेश्वर। पिंडारी ट्रैकिंग रूट पर द्वावली के समीप पहाड़ से गिर कर ग्राम प्रशासक के भाई गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें खाई से पुलिस ने निकाल लिया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कपकोट में भर्ती किया गया है। जहां चिकित्सक उपचार में जुट गए हैं। 

कपकोट पुलिस तथा एसडीएआरएफ की टीम ने 24 वर्षीय विजय सिंह दानू पुत्र खुशाल सिंह दानू को सुबह 12 बजे बाद खाई से निकाल लिया। वह द्वावली के समीप पहाड़ से गिर गए थे। ज्वारपानी के समीप वह 80 मीटर खाई में गिर गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। जहां चिकित्सक उपचार में जुट गए हैं। 

मृत्यु की सूचना निकली गलत

जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि खाती के ग्राम प्रशासक कैलाश सिंह दानू के भाई गिर गए थे। उनकी मृत्यु की सूचना कपकोट के हेड कांस्टेबल केदार सिंह ने दी थी। उप निरीक्षक संजय धौनी घटना स्थल पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह घायल हैं। सूचना गलत पाई गई। दैनिक जागरण भी घायल के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता है। 

18 घंटा पैदल चली एसडीआरएफ

पिंडारी ग्लेशियर के द्वावली के समीप खाई में गिरे युवक के लिए एसडीआरएफ की टीम 18 घंटे तक पैदल चली। साहसिक रेस्क्यू आपरेशन को अंजाम दिया। उप निरीक्षक राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में टीम ने आवश्यक रेस्क्यू उपकरणों के साथ तुरंत घटनास्थल पहुंची। जिले के प्रथम गांव खाती से 18 किमी पैदल चलने के बाद घटना स्थल पहुंची। 

बागेश्वर के पिंडारी ट्रैकिंग रूट से घायल को लाते जवान। सौ. एसडीआरएफ।

रात भर चला रेस्क्यू अभियान

ज्वारपानी नामक स्थान पर 80 मीटर गहरी खाई में गिरे युवक तक पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों की मदद से रातभर अभियान चला। विषम परिस्थितियों तथा घनघोर अंधेरे के बावजूद टीम ने कड़ी मशक्कत कर घायल व्यक्ति को खाई से सुरक्षित बाहर निकाला। उसे 18 किमी स्ट्रेचर में लाद कर सड़क तक पहुंचाया। जहां से एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल में भर्ती किया। 

जाको राखे सांईया मार सके न कोई

खाती के विजय ने मौत से लगभग 20 घंटे तक जंग की। वह शुक्रवार शाम अपराह्न खाई में गिर गए थे। उनके साथियों ने उनके जिंदा होने की आश छोड़ दी थी। हिमालय की तलहटी की ठंड भी उनके कठोर इरादों को तोड़ नहीं सकी। एसडीआरएफ तथा गांव के लोगों के पहुंचने के बाद उन्हें खाई से बाहर निकाला जा सका। 

पर्वतारोही यामू सिंह ने कहा कि हिमालय की तलहटी में रहने वाले लोगों को फर्स्ट एड के बारे में पूरी जानकारी रहती है। वह बचने की पूरी कोशिश करते हैं। विजय गहरी बेहोशी में रहे होंगे। बाहर निकालने पर उन्हें फर्स्ट एड दिया गया तो उनकी धड़कने चलने लगीं। उनके स्वजन तथा ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

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