कॉमेडी, ट्रेजेडी, डांस और एक्शन के बेहतरीन कलाकार गोविंदा। 

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मुकेश कबीर।

कॉमेडी, ट्रेजेडी, डांस और एक्शन के बेहतरीन कलाकार गोविंदा।

गोविंदा बॉलीवुड के एक बेहतरीन एक्टर हैं, हिंदी फिल्मों के पूरे सौ साल में गोविंदा से अच्छा कलाकार कोई और हुआ नहीं है लेकिन शायद वे किस्मत और इंडस्ट्री की ओछी राजनीति का शिकार हुए इसलिए उनको उतना क्रेडिट मिल नहीं पाया जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। वैसे गोविंदा बहुत सफल रहे हैं, बड़े स्टार हैं लेकिन फिर भी उनकी एक्टिंग स्किल के अनुरूप उनको यश नहीं मिला जबकि आज बहुत से बड़े सुपर स्टार स्वघोषित अंतराष्ट्रीय स्टार बने हुए हैं जो एक्टिंग के मामले में गोविंदा के पैरों की धूल भी नही हैं ।

गोविंदा जिस दौर में आए थे तब अमिताभ के अलावा ऐसा कोई दूसरा हीरो नहीं था जो हर तरह के रोल में फिट हो सके। अमिताभ सर्वकालिक महान एक्टर तो हैं ही साथ ही उनका स्टारडम ऐसा है कि उनकी कमियों पर ध्यान ही नहीं जाता था। उनकी एपीयरेंस मात्र से ही सब डोमिनेट हो जाते थे लेकिन गोविंदा का तो सारा इंपेक्ट सिर्फ उनकी परफॉर्मेंस के कारण आता है। गोविंदा जब इंडस्ट्री में आए थे तब सारे हीरो लंबे होते थे इसलिए कम हाइट वाले हीरो की सफलता पर संदेह था लेकिन गोविंदा ने अपने डांस से ऐसा प्रभाव छोड़ा कि पहली फिल्म से ही लोग उनके जबर्दस्त फैन हो गए और बाद में भी उनकी लगातार ऐसी फिल्में आईं जिसमे उनकी डांसिंग स्किल्स का भरपूर उपयोग किया गया और अंततः गोविंदा सर्वश्रेष्ठ डांसर मान लिए गए। गोविंदा सर्वश्रेष्ठ डांसर हैं भी। डांस की ऐसी कोई भी स्टाइल नहीं है जो गोविंदा ने नहीं दिखाई हो, सबसे पहले तो ब्रेक डांस को हिंदुस्तान में लेकर आए,फिर डिस्को,सेमी क्लासिकल और बाद में लोक नृत्य भी उन्होंने बखूबी किए और हर तरह के लोक नृत्य किए चाहे राजस्थानी हों या मराठी, गुजराती सभी डांस ऐसे किए जैसे उस विधा के पारंगत डांसर करते हैं । इसका फायदा यह हुआ कि उनको राज्य प्रधान फिल्मों के हीरो के रूप में भी काफी रोल मिले जैसे जिस देश में गंगा रहता है में वे राजस्थानी युवक बने तो बनारसी बाबू में ठेठ बनारसी बनकर आए, साजन चले ससुराल में उनके डांस में गुजरात और राजस्थान दोनों के लोक नृत्य की झलक देखी जा सकती है, यह सब गोविंदा के अलावा कोई और नहीं कर पाया, यह बात बड़े बड़े कलाकारों ने भी मानी है। एक बार मनीषा कोइराला ने कहा था कि गोविंदा के साथ स्क्रीन पर कोई भी डांस करे लेकिन लोगों की नजर सिर्फ गोविंदा पर ही रहती है, उनके सामने लड़कियां भी फीकी पड़ जाती हैं। नीलम, करिश्मा और रवीना कई बार कह चुकी हैं कि उन्होंने डांस की बहुत सी बारीकियां गोविंदा से सीखी हैं । एक बार मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान ने भी कहा था कि गोविंदा के मुकाबले न कोई लड़का डांस कर सका और न ही कोई लड़की, गोविंदा एकमात्र सबसे अच्छा डांसर है। कोरियोग्राफर तो कोई भी हो सब गोविंदा के साथ खुश रहते थे क्योंकि गोविंदा बिना रीटेक के ही उनके बताए हुए सारे स्टेप कर देते थे बल्कि बहुत से कोरियोग्राफर तो गोविंदा से सीखकर भी जाते थे इतना नॉलेज है गोविंदा को डांस का। एक और बड़े कोरियोग्राफर गणेश आचार्य तो खुद भी गोविंदा की स्टाइल में डांस करते हैं और अपने कलाकारों को भी वही स्टेप करवाते हैं ,गोविंदा का डांसर्स पर असर इतना रहा कि आगे चलकर उनकी स्टाइल को ही “गोविंदा डांस” कहा जाने लगा,यह कम बात नहीं है। गोविंदा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे डांस को इतनी जल्दी शूट करवा देते थे कि डायरेक्टर कई मुश्किलों से बच जाते थे । ऐसी ही एक घटना हीरो नंबर वन की शूटिंग के वक्त हुई थी जिसका एक गाना पेरिस में एफिल टॉवर के नीचे शूट होना था लेकिन लोकल प्रशासन ने इसकी परमिशन नहीं दी जबकि गोविंदा पूरी टीम के साथ वहां पहुंच चुके थे। डेविड धवन निराश थे लेकिन तभी गोविंदा ने कैमरामैन को चुपके से कहा कि तू कैमरा चालू कर कैमरा चालू होते ही गोविंदा ने वो स्टेप्स सिर्फ पंद्रह मिनट में पूरे कर दिए और अपनी टीम से भी पंद्रह मिनट में ही सारे स्टेप्स करवा लिए, और मजे की बात यह रही कि पेरिस प्रशासन को भनक तक नहीं लगी कि शूटिंग चल रही है, यह है गोविंदा की स्किल वरना इस तरह के स्टेप्स में अन्य कलाकार कई बार पूरा दिन खा जाते हैं। गोविंदा नेचुरल डांसर और एक्टर हैं इसीलिए डेविड धवन कहते हैं कि “गोविंदा जैसा एक्टर कोई और नहीं है,वो मक्खन की तरह है और कोई भी काम पंद्रह बीस मिनिट में पूरा करके निकल जाता है फिर चाहे उसने रिहर्सल की हो या नहीं”। यही कारण है कि डेविड धवन ने सबसे ज्यादा फिल्में गोविंदा के साथ ही की हैं । वैसे डेविड ने जो फिल्में गोविंदा के साथ की हैं वो सिर्फ गोविंदा ही कर सकते थे क्योंकि इनकी फिल्मों में जबरजस्त कॉमेडी तो होती ही थी साथ ही डांस भी ऐसे होते थे जिनसे कॉमेडी पैदा हो सके यह काम बहुत कठिन होता है, गोविंदा से पहले दिलीप कुमार या अमिताभ ने ही इस तरह के डांस किए हैं लेकिन वे सब गोविंदा के सामने बहुत सिंपल नजर आते हैं।

गोविंदा ने इस तरह के कई गाने किए और एनर्जी लेवल भी इतना हाई रखा कि लोगों की परदे से नजर हटना मुश्किल, हर सेकंड कुछ नया करते थे यदि नजर हटी तो आप कुछ मिस कर जायेंगे। गोविंदा की इसी एनर्जी को देखकर अमिताभ बच्चन ने भी कहा था कि “बहुत तेज डांस करता है चीची”, चीची निक्नेम है गोविंदा का। गोविंदा सिर्फ महान डांसर नही हैं बल्कि महान एक्टर भी हैं उनकी कॉमिक टाइमिंग तो सबसे अच्छी है ही इसमें मामले में तो कोई भी उनके पास फटकता भी नहीं है, वो हर फ्रेज में कुछ न कुछ हास्य पैदा करने की क्षमता रखते हैं फिर कैमरा चाहे उनके पैरों को फोकस करे कमर पर करे या चेहरे पर फोकस हो वे शरीर के हर अंग से हास्य पैदा कर देते हैं। दुनिया में यह स्किल सिर्फ चार्ली चैपलिन में रही है । यही क्वालिटी गोविंदा में है फिर सीन चाहे बारिश में हो, मॉल में हो, गांव में, शहर में, रूम में, ओपन में कहीं भी शूट हो वे हर जगह कॉमेडी पैदा कर देते हैं उनको किसी खास माहौल की या मूड बनाने की जरूरत नहीं होती। कई बड़े एक्टर ऐसे रहे हैं हमारे देश में जिनको पहले सीन के अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत पड़ती है। यदि सेड सीन है तो सेट पर सबको उदास होना पड़ता है या कॉमेडी सीन है तो भी स्टॉफ का सपोर्ट चाहिए लेकिन गोविंदा इतने महान है कि माहौल के विपरीत होते हुए भी इंपेक्ट पैदा कर देते हैं बल्कि कई इमोशंस एक साथ दिखाने की ताकत है गोविंदा में। वे एक ही टेक में कॉमेडी और ट्रेजेडी कर सकते हैं और ऐसा उन्होंने कई बार किया भी है इसीलिए उनकी फिल्मों में सब कुछ होता था। कॉमेडी ट्रेजेडी, एक्शन और गोविंदा सबमें परफेक्ट । उनकी पुरानी फिल्में आज भी देखें तो बोरियत नहीं होती शोला और शबनम में उनके सारे शेड्स देखे जा सकते हैं। गोविंदा याद किए जाते हैं तो डेविड धवन की फिल्मों के कारण। उनकी फिल्मों में सिर्फ और सिर्फ मज़ा होता था और कुछ नहीं, यही कारण है की नाइनटीज में जब शाहरुख का रोमांस और सलमान का मांस बिकता था तब भी गोविंदा की फिल्में खूब चलती थीं जबकि उन्हें न तो शर्ट उतारने की जरूरत होती थी और न ही इमोशनल स्टोरी की, गोविंदा का अपना स्टाइल ही बिकता था फिर चाहे सीजन कोई भी हो और फिल्म चाहे दिवाली पर रिलीज हो या ईद पर गोविंदा हिट करा ही लेते थे। गोविंदा को भले भी भारत में एक महान एक्टर के रूप में मान्यता न मिली हो लेकिन बीबीसी ने जब अमिताभ को स्टार ऑफ द मिलेनियम माना था तब उसी लिस्ट में गोविंदा भी दसवें नंबर पर आए थे,सारी दुनिया में अंडर टेन होना आसान बात नहीं होती,यह लिस्ट शुरू अमिताभ से हुई तो समाप्त गोविंदा पर हुई । मजे की बात यह कि बीच में मर्लिन मुनरो और चार्ली चैपलिन जैसे अंतर्राष्ट्रीय महान कलाकार थे। गोविंदा वाकई में इस लिस्ट को डिजर्व करते भी हैं, भारत में भी सिर्फ अमिताभ का आभा मंडल था जिसने सबको दबा दिया वरना गोविंदा जैसा कलाकार दूसरा कोई हुआ नहीं, उनकी स्किल देखना है तो उनकी फिल्म गौर से देखिए और वो सीन खुद कॉपी करके देखना होगा तब समझ आएगा कि गोविंदा कितना हाई लेबल का परफॉर्मेंस दे चुके हैं । अभी गोविंदा साठ साल के हो चुके हैं इसलिए अब शायद उस तरह की फिल्में न करें जैसी वो करते रहे हैं लेकिन सारा देश उनको वापस परदे पर देखना चाहता है, भगवान ने चाहा तो जल्दी ही वो बड़े परदे पर फिर धूम मचाएंगे और फिर हीरो नंबर वन कहलाएंगे, हार्दिक शुभकामनाएं। (लेखक गीतकार हैं।)  (विभूति फीचर्स)

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