डॉ0 रामबली मिश्र, वाराणसी उ. प्र.।
मेरी प्यारी माँ।
अतुलित अनुपम निर्मल धारा।
ममता करुणा भावन न्यारा।।
कोमल चित्त विचार मनोरम।
मेरी प्रिय माँ मधु सर्वोत्तम।।
पूजनीय माँ वंदनीय है।
स्नेहिल उर्मिल देव तुल्य है।।
अकथनीय सर्वोपरि माता।
सहज सरल निष्काम विधाता।।
माँ की देनी हूँ मैं सब कुछ।
माँ ही पावन पर्व सदा सुख।।
निर्मित माँ के संस्कारों से।
बोझिल माँ के उपकारों से।।
मुक्त नहीं हो सका मैं कभी।
माँ शिव रूपा सत्य धाम भी।।
पा कर माँ का प्यार खिला मन।
माँ से ही यह बना हुआ तन।।
हाथ पकड़ कर राह दिखायी।
जीवन की प्रिय रीति सिखायी।।
माँ हृदयामृत सरस सुधाकर।
प्रणामि तुझको मातृ दिवाकर।।