पुस्तकालयों के महत्व पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न।

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दिनेश सेमवाल शास्त्री देहरादून।

पुस्तकालयों के महत्व पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शैक्षणिक ग्रथालयों, साहित्य का बदलता स्वरूप विषय पर हुई विशद चर्चा।

स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय डोईवाला में हुआ आयोजन।

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शैक्षणिक ग्रन्थालयों एवं साहित्य का बदलता स्वरूप ‘विषय पर भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सौजन्य से स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय’ पूर्व नाम-हिमालयीय विश्वविद्यालय डोईवाला, देहरादून में दो दिवसीय सेमिनार सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस दो दिवसीय सेमिनार के अन्तर्गत राष्ट्रीय सेमिनार का सफल आयोजन पुस्तकालय एवं सूचना विभाग तथा अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस सेमिनार में राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों, शिक्षाविद् व विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें विशेष रूप से प्रो. देविका मण्डाली, निदेशक (इनफिल्बनेट) अहमदाबाद, गुजरात, डाॅ. रमेश यर्नगुला, निदेशक विदेश मंत्रालय पुस्तकालय नई दिल्ली, प्रो. प्रदीप राय, पुस्तकालयाध्यक्ष मैत्रीय काॅलेज एवं उपाध्यक्ष भारतीय पुस्तकालय संघ, दिल्ली को आमंत्रित किया गया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में कुलाधिपति प्रो. प्रदीप भारद्वाज, कुलपति प्रो. काशीनाथ जेना, प्रो. ए.के. झा प्राचार्य, हिमालयीय आयुर्वेदिक काॅलेज, प्रो. अंजना विलियम्स, प्राचार्य काॅलेज ऑफ नर्सिंग अरविन्द अरोड़ा,(रजिस्टार) डाॅ. निधि उपाध्याय, डाॅ. ममता कुंवर, डाॅ. विपिन भट्ट, डाॅ. मनीषा अग्रवाल, डाॅ. शिवानी रावत, डाॅ. रोहित पाल, डाॅ. साक्षी, डाॅ. महेश जगोठा, डाॅ. दीपाली तोमर, पूजा दीवान, गुरप्रीत कौर सैनी, निहारिका, डाॅ.एस.के. श्रीवास्तव, ऋषभ कुकरेती आदि मौजूद रहे।

दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ 30 अगस्त को पूर्व केन्द्रीय शिक्षामंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ व डाॅ. संजीव के. सनी पुस्तकालयाध्यक्ष आई.आई.टी. रुड़की के कर कमलों द्वारा किया गया।

सेमिनार के प्रथम दिन (30 अगस्त 2024) अनेक राज्यों के शोधार्थियों ने पंजीकरण करवाया तथा भोपाल, गुजरात, दिल्ली, आगरा, हैदराबाद, खटीमा, हरिद्वार, जयपुर आदि राज्यों से अनेक शोधार्थियों ने उपस्थिति दर्ज की। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों व विद्वानों की उपस्थिति एवं व्याख्यानों, ने शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। विशेष रूप से डाॅ. विवेकानन्द जैन, बी.एच.यू., वाराणसी, डाॅ. गीताली शाहा, जी.एच. पटेल काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाॅजी गुजरात, डाॅ. किरन चतुर्वेदी, बी.एच.यू. वाराणसी, डाॅ. अलका राय, बी.आर. अम्बेडकर, विश्वविद्यालय दिल्ली, प्रो. विनोद मिश्रा, आई.आई.टी. रुड़की, प्रो. मुदिता अग्निहोत्री, राजकीय कन्या गुरुकुल, हरिद्वार, डाॅ. मानसी थपलियाल नवानी, बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली, डाॅ. विजयनी मिश्रा मैत्रीय काॅलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, पवन मैठाणी पुस्तकालयाध्यक्ष डी.ए.वी. पी.जी. (सांध्य) दिल्ली विश्वविद्यालय आदि ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विभिन्न पहलुओं पर विचार एवं मंथन कर शोधपूर्ण कार्यप्रणाली एवं मूल्यांकन को प्रस्तुत किया।

सेमिनार के दूसरे दिन शनिवार 31अगस्त.2024 को विभिन्न विषयों के शोधार्थियों जैसे पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान अंग्रेजी, हिन्दी, सोशल वर्क, इतिहास, शिक्षा प्रबंधन से सम्बन्धित विषय शामिल किए तथा इन विषयों से सम्बंधित शोधार्थियों ने अपने विषय के शोधपत्र प्रस्तुत किए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शैक्षणिक ग्रथालयों, साहित्य का बदलता स्वरूप के समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. विनोद मिश्रा आई.आई.टी. रुड़की द्वारा की गयी। इसी परिप्रेक्ष्य में पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सभी विषय विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत ग्रंथालयों की पृष्ठभूमि और आधुनिक समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से साहित्य के संरक्षण और विकास के सन्दर्भ में वैचारिक और व्यवहारिक सामूहिक चर्चा की।

          समापन समारोह में राष्ट्रीय सेमिनार की संयोजक डाॅ. इन्दु भारती घिल्डियाल विभागाध्यक्ष, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग व सह संयोजक डाॅ. निधि उपाध्याय, अंग्रेजी विभाग ने सेमिनार के सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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