प्रियंका सौरभ, हरियाणा
प्रज्ञान स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर।
देशभक्ति सीखनी है तो बच्चों से सीखें।
चाहे गणतंत्र दिवस हो या फिर स्वतंत्रता दिवस, एक बच्चे ही तो होते हैं जिनके मन में सच्ची देशभक्ति होती है। नन्हे नन्हे बच्चों देशभक्ति ड्रेस में आज़ादी के नारे लगाते देखे जा सकते हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उनकी देशभक्ति तो आप तिरंगे से खेलते हुए देख सकते हैं। कहा जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। ऐसी ही एक पहल की है हमारे दैनिक संपादकीय लेखकों डॉ सत्यवान सौरभ और प्रियंका सौरभ के बेटे प्रज्ञान ने जो अभी दस महीने का ही हुआ है और अपने पहले स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे के साथ खेल रहा है।
उन मन गंगा जल की तरह पवित्र होता है। जो बच्चे बोलना शुरू करते हैं। उनकी जुबान पर जो भी आता है वह सच्चाई की प्रतिमूर्ति मानी जाती है। यह कहा जा सकता है कि बड़ों को भी बच्चों के सच्चे मन से कुछ सीखना चाहिए। यह जो आदमी ज्यों ज्यों बड़ा होता जाता है त्यों त्यों उसका दिमाग शातिराना होने की कोशिश करता है। ऐसे में बच्चों की भाव भंगिमा और उनके बोलने चालने से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। (राष्ट्रीय पहल)