इंजीनियर राशिद हुसैन। मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
गजल
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पैगाम ए सदाकत को दबाया नही जाता।
सच्चाई के परचम को झुकाया नही जाता।।
जो देख रहा हूं मैं उसे कहता रहूंगा।
हालात से आंखो को चुराया नही जाता।।
जो दीप हवाओं के इशारों पे जले हों।
फिर ऐसे चरागो को जलाया नही जाता।।
हालात ने इस दर्जा सितम हम पे किए हैं।
वो हाल है हाल अपना सुनाया नही जाता।।
माना के चलो हाथ मिलाना तो मुनासिब।
दुश्मन को मगर दोस्त बनाया नही जाता।।
अपने तो बाहरहाल हुआ करते हैं अपने।
गैरो का भी दिल हमसे दुखाया नही जाता।।
वो गम हैं के हिम्मत ने तो दम तोड़ दिया है।
गैरत से मगर जहर भी खाया नही जाता।।
जख्मों को तो मरहम से शिफा मिला गई राशिद।
बातो को मगर दिल से भुलाया नही जाता।।