हर घर तिरंगा अभियान, रखें ध्वज का मान।

Spread the love

प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)

हर घर तिरंगा अभियान, रखें ध्वज का मान।

 

 


अपना राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा। इसको लहराते देख गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। इस के सम्मान में इसे सैल्यूट करने का मन चाहता है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का कोई दुरुपयोग ना करे, कोई इनका अपमान न करे। झंडों को फेंके नहीं, कूड़ेदान में भी नहीं डालें। घर पर लगे झंडों को तह बनाकर घर में रखे। ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत लोगों ने अपने घरों में झंडे लगाए हैं। ऐसे में लोग सम्मान के साथ इन तिरंगों को साफ करके प्रेस करके घर के अंदर उन्हें संभालकर रख सकते हैं। इन झंडों का इस्तेमाल अगले साल के लिए किया जा सकता है। आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के जोश में इस बात का होश न खोने पाए कि राष्ट्रीय ध्वज का अपना एक सम्मान है। इसका किसी भी रूप में अपमान आपकी आजादी पर भारी पड़ सकता है।

भारत की स्वतंत्रता के 77वें वर्ष के जश्न के हिस्से के रूप में, भारत सरकार ने “हर घर तिरंगा” अभियान शुरू किया है। अभियान में भाग लेते समय भारतीय ध्वज संहिता को समझना जरूरी है। ‘हर घर तिरंगा’ आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में एक अभियान है, जिसका उद्देश्य लोगों को तिरंगे को घर लाने और भारत की आज़ादी के 77वें वर्ष के उपलक्ष्य में इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस अभियान के माध्यम से नागरिकों को अपने घरों में झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस पहल के पीछे का विचार लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह, सम्मान और निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना/उपयोग/प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित होता है। भारतीय ध्वज संहिता राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के लिए सभी कानूनों, सम्मेलनों, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाती है। यह निजी, सार्वजनिक और सरकारी संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन को नियंत्रित करता है। अपना राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा। इसको लहराते देख गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। इस के सम्मान में इसे सैल्यूट करने का मन चाहता है। सबसे पहले 7 अगस्त 1906 कलकत्ता (अब कोलकाता) में ‘लोअर सर्कुलर रोड’ के पास पारसी बागान स्क्वायर पर पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। उस समय इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ बनी हुई थीं। इसके बाद, कई बदलावों से गुजरते हुए यह राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा इसके मौजूदा स्वरूप में स्वीकार किया गया। इसके मौजूदा स्वरूप को डिजाइन करने में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफ़ेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है। झंडे की चौड़ाई और लम्बाई का अनुपात 2:3 है। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की तरह है। चक्र की परिधि लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियाँ हैं। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का कोई दुरुपयोग ना करे, कोई इनका अपमान न करे। इसी को ध्यान में रखते हुए साल 1950 में प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950 लाया गया। यह राष्ट्रीय ध्वज, सरकारी विभाग द्वारा उपयोग किये जाने वाले चिह्न, राष्ट्रपति या राज्यपाल की आधिकारिक मुहर, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के चित्रमय निरूपण तथा अशोक चक्र के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। इसके बाद राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 लाया गया। यह राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र समेत देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है। जब भी ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। सरकारी भवनों पर रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी ध्वज को सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है। यानी आमतौर पर सूर्यास्त के बाद ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं है। ध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो ध्वज उनके दाहिने ओर हो। ध्वज किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए। ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए और फटा या मैला ध्वज नहीं फहराया जाता है। अगर ध्वज फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह से नष्ट किया जाना चाहिए। ध्वज केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है किसी दूसरे ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा तिरंगे का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा ध्वज का उपयोग उत्सव के रूप में या किसी भी प्रकार की सजावट के लिये नहीं किया जाना चाहिये।

भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को प्रभावी हुई। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था। अब, राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और हाथ से बुने हुए या मशीन से बने, कपास/पॉलिएस्टर/ऊनी/रेशम खादी के बने होंगे। जनता का एक सदस्य, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप, सभी दिनों और अवसरों पर, समारोह में या अन्यथा, राष्ट्रीय ध्वज फहरा/प्रदर्शित कर सकता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 19 जुलाई, 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था। अब, जब झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, तो इसे दिन और रात फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होगा। झंडा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा। पहले ध्वज को खुले में सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की ही अनुमति थी। अब कोई भी भारतीय नागरिक, निजी या शैक्षणिक संस्थान सभी दिवसों और अवसरों पर दिन-रात राष्ट्रीय ध्वज के गौरव और सम्मान के अनुरूप तिरंगा फहरा सकता है। अब कपास, ऊन, रेशम और खादी के हाथ से बुने, हाथ से सिले और मशीन से बने ध्वज के अलावा पॉलिएस्टर से बने या सिले ध्वज के उपयोग की भी अनुमति दे दी गई है। डेमेज हुए झंडों को दफनाने के लिए सभी डैमेज हुए झंडों की तह बनाकर लकड़ी के बॉक्स में रखा जाता है। फिर उसे सुरक्षित स्थान पर जमीन में दफनाया जाता है। ऐसा करते वक्त शांतिपूर्ण माहौल होना चाहिए। झंडे को जलाने के लिए सुरक्षित जगह चुनें, झंडे को ढंग से तह करें और उसे ध्यान से आग पर रख दें। झंडों को फेंके नहीं, कूड़ेदान में भी नहीं डालें। घर पर लगे झंडों को तह बनाकर घर में रखे। ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत लोगों ने अपने घरों में झंडे लगाए हैं। ऐसे में लोग सम्मान के साथ इन तिरंगों को साफ करके प्रेस करके घर के अंदर उन्हें संभालकर रख सकते हैं। इन झंडों का इस्तेमाल अगले साल के लिए किया जा सकता है।

  • User

    Related Posts

    एपीजे अब्दुल कलाम: नए भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा।

    Spread the love

    Spread the loveप्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,  आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)    एपीजे अब्दुल कलाम: नए भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा। कलाम…

    कलाम को सलाम।

    Spread the love

    Spread the loveहरी राम यादव, अयोध्या, उ. प्र.।              जयंती पर विशेष। कलाम को सलाम। जीवन में परिस्थिति चाहें जैसी भी हों, पर जब आप…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    शुभांगी छंद।

    • By User
    • October 18, 2024
    • 3 views
    शुभांगी छंद।

    “कुसंग”

    • By User
    • October 18, 2024
    • 6 views
    “कुसंग”

    वीरगति दिवस पर विशेष। सिपाही जगपाल सिंह, वीर चक्र (मरणोपरांत)

    • By User
    • October 18, 2024
    • 4 views
    वीरगति दिवस पर विशेष।     सिपाही जगपाल सिंह, वीर चक्र (मरणोपरांत)

    रुद्रप्रयागः  केंद्रीय बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने शुक्रवार को केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार की पूजा-अर्चना की

    • By User
    • October 18, 2024
    • 4 views
    रुद्रप्रयागः  केंद्रीय बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने शुक्रवार को केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार की पूजा-अर्चना की

    केंद्रीय राज्यमंत्री सविता केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार की पूजा-अर्चना की

    • By User
    • October 18, 2024
    • 9 views
    केंद्रीय राज्यमंत्री सविता केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार की पूजा-अर्चना की

    डीएम बनने के बाद सविन बंसल का मसूरी मे पहला दौरा, किंक्रेग पार्किंग का अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया

    • By User
    • October 18, 2024
    • 5 views
    डीएम बनने के बाद सविन बंसल का मसूरी मे पहला दौरा, किंक्रेग पार्किंग का अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया