विख्यात गांधीवादी राधाकृष्ण का जन्म शताब्दी वर्ष शुरू।

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विख्यात गांधीवादी राधाकृष्ण का जन्म शताब्दी वर्ष शुरू। 

गांधी, विनोबा और जेपी के बाद सबसे बड़ी हस्ती राधाकृष्ण। 

राम बहादुर राय   (विभूति फीचर्स)

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक राम बहादुर राय ने प्रख्यात गांधीवादी विचारक व महात्मा गांधी के अनुयायी के.एस. राधाकृष्ण को गांधी, विनोबा और जयप्रकाश के बाद गांधीवादी जगत की सबसे बड़ी हस्ती बताते हुए कहा कि राधाकृष्ण ने न केवल गांधीवादी संस्थाओं और संगठनों को संजीवनी और विस्तार दिया बल्कि अपने समय में तत्कालीन राजनीति को भी अपने प्रभाव से प्रभावित किया। राय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के समवेत सभागार में के एस राधाकृष्ण पर उनकी गांधीवादी पुत्री शोभना राधाकृष्ण द्वारा लिखी ‘महात्मा गांधी की दृष्टि, राधाकृष्ण का उद्यम: जीवन, विचार व कार्य’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह में अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने भारतीय राजनीति में के एस राधाकृष्ण की हैसियत का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे कामराज ने लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में अपनी भूमिका निभाई थी वैसे ही के एस राधाकृष्ण ने नारायण देसाई के साथ मिल कर जनता पार्टी के राज में मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनवाने में कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने यह भी पूरी तरह साफ किया कि इंदिरा गांधी के शासनकाल में राधाकृष्ण की जेपी आंदोलन में राष्ट्रव्यापी स्तर पर प्रभावी भूमिका को देखते हुए उनके खिलाफ कुदाल आयोग का गठन किसी षड्यंत्र को साकार करने के मंसूबे से गठित किया गया था। उस आयोग को बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला जिसके आधार पर उनको दोषी ठहराया जा सके। गौरतलब है कि यह पुस्तक लोकार्पण समारोह प्रसिद्ध गांधीवादी लेखक, चिंतक और गांधी जी की हत्या के बाद सर्वोदय आंदोलन को अपना जीवन पूरी तरह समर्पित करने वाले के एस राधाकृष्ण के जन्मशताब्दी वर्ष के परिप्रेक्ष्य में आयोजित किया गया।

इस मौके पर गांधी कथा के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध शोभना राधाकृष्ण ने आपातकाल के दौरान अपने पिता एस राधाकृष्ण की गिरफ्तारी के बाद उनके परिजनों पर आई मुश्किल घडय़िों की विस्तार से चर्चा करते हुए यह चिंता भी व्यक्त की कि आज उनके निधन के तीस साल बीत गए लेकिन इस दौरान इनको किसी ने याद नहीं किया बल्कि सर्वोदय आंदोलन के इतिहास में उनकी भूमिका को भी नगण्य बता देने का कुटिल प्रयास हुआ। गांधीयन फोरम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी व लेखिका शोभना राधाकृष्ण ने कहा कि पांच साल के प्रयास से उन पर लिखा यह ग्रंथ के एस राधाकृष्ण की भूमिका के आकलन मूल्यांकन के लिए बहुत बड़ा आधार साबित होगा।

उन्होंने कहा कि राधा कृष्ण का कार्य क्षेत्र शुरू से सेवाग्राम रहा इसलिए अगले महीने की 9 तारीख को वहीं उनकी स्मृतियों को ताजा करने के लिए जन्म शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है जिसमे देश भर से उनसे जुड़े गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकार भाग लेंगे। शोभना राधाकृष्ण ने कहा कि उनके पिता राधाकृष्ण ने हमेशा पक्ष , प्रतिपक्ष, आलोचक, विरोधी , प्रशंसक, माहौल, ग़लतियों और स्वभाव के परे सभी को सम भाव से देखा और सभी के सपने पूरे करने के लिए वित्तीय समर्थन देकर उन्हें समान मौके दिए थे। उनकी जगह अपनी विशिष्ट गरिमा और शालीनता लिए हुई थी। लोकार्पण समारोह में हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ गांधीवादी लेखक लक्ष्मी दास ने कहा कि राधा कृष्ण के आलोचक भी थे लेकिन वे यह भी मानते थे कि उनका कोई विकल्प नहीं, इसलिए वे जहां होते थे वहां वे बहुत मजबूती से टिके रहते थे और अपने कार्यों को विस्तार देते रहते थे। राधाकृष्ण के सर्वोदय आंदोलन में खासकर युवाओं की भागीदारी का विस्तार करने में उनके योगदान पर केयर इंडिया के अध्यक्ष मैथ्यू चेरियन व मध्यप्रदेश फाउंडेशन के महासचिव डा. हरीश भल्ला ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डा सच्चिदानंद जोशी व कलाकोश विभाग के अध्यक्ष प्रो सुधीर लाल,वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन के साथ ही देश भर के गांधीवादी विचारक व कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।               (विभूति फीचर्स)

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