शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’, वाराणसी, उ. प्र.।
बबुआ आता होगा
बुढ़िया बैठी दरवाजे पर
बिछा खटोला
बबुआ आता होगा।
वैसे तो हर शहर ठीक है
थोड़ी हवा खराब
शासन होगा राशन होगा
भुनता हुआ कबाब
ऐसा है विश्वास कि पारस
शाकाहारी
बबुआ खाता होगा।
अभी-अभी है नई नौकरी
शिमला होगी ठंड
सेना में है बात-बात पर
मिलता होगा दंड
वेतनमान बहुत अच्छा है
मासिक वेतन
बबुआ पाता होगा।
कहकर गया कि इस होली पर
आएगा वह गाँव
जो कुछ पाँवछुवाई देनी
देगा छूकर पाँव
धोती-कुर्ता और अँगोछा
बुढ़ऊ खातिर
बबुआ लाता होगा।