डॉ0 हरि नाथ मिश्र, अयोध्या (उ0प्र0)
सजल
मात्रा-भार–16
समांत–ईर
पदांत–रहेगा
नदियों में जब नीर रहेगा,
शीतल तभी समीर रहेगा।।
वही सफल होता जीवन में,
जो कष्टों में धीर रहेगा।।
करे जो सेवा दीन-दुखी की,
सबसे वही अमीर रहेगा।।
देश-सुरक्षा सोच है जिसकी,
वह सैनिक बलवीर रहेगा।।
जिसके हृदय प्रेम है बसता,
ऐसा सुनो फकीर रहेगा।
बिना कहे जो करे भलाई,
व्यक्ति वही गंभीर रहेगा।।
संतों की जो रक्षा करता,
निर्मल वही शरीर रहेगा।।