गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां(राजस्थान)
किया है कैसा यह जादू
किया है कैसा यह जादू , यार तुमने हम पर।
हो गये हम तो दीवानें, दिल से कुर्बान तुम पर।।
किया है कैसा यह जादू ————————।।
यह प्यार होता है कैसा, नहीं थी हमको खबर।
रहे हैं हम तो अब तक, इस मोहब्बत में बेखबर।।
यह रोशनी है कैसी, जो दिल में जल रही है।
आ गए हम करीब तुम्हारे, जिससे कि चलकर।।
किया है कैसा यह जादू ———————–।।
क्यों आज हमको सब कुछ, लग रहा है हसीन।
दुल्हन सी चुनरिया में, सजी हुई है आज जमीन।।
शहनाई बजने लगी है, क्यों आज कैसा उत्सव है।
करते हैं जिसकी तारीफ, उसपे गीत हम लिखकर।।
किया है कैसा यह जादू —————————।।
छुटे नहीं साथ हमारा, और यह हाथ कभी हमारा।
जीना है हमको यहाँ पर, जीवन सँग यह सारा।।
चलना है संग संग हमको, मंजिल हमारी एक है।
निभायें अपनी वफ़ा हम, यह प्यार हम बाँटकर।।
किया है कैसा यह जादू ————————–।।