संजय एम. तराणेकर
एक और फरियादी को जेल हो गई,
चिखने-चिल्लाने का हो गया था मेल।
मांगी थी जो मदद निकल गया तेल,
मदमस्त नौकरशाही का हैं यह खेल!
इनके आगे अच्छे-अच्छे हो जाते फैल।
एक और फरियादी को जेल हो गई,
चिखने-चिल्लाने का हो गया था मेल।
गुनाह ही हो गया है फरियाद करना,
बस आपा मत खोना ये याद रखना!
पीड़ित “रचना” के लिए दुआ करना।
एक और फरियादी को जेल हो गई,
चिखने-चिल्लाने का हो गया था मेल।
देश में मदद के बजाय मिलती है जेल,
भयाक्रांत है जनता हो गया घालमेल!
सुनो सरकार क्या सिस्टम हुआ फेल।
(संदर्भ : रचना मौर्य पहुंच गई जेल।)