देशप्रेमी कविवर श्री ‘सूर्यदीप
बागपत, उत्तर प्रदेश।
“हे पथिक! धीरज धरना सदा”
इस पथ में तेरे काँटे तो बहुत होंगे,
हे पथिक! धीरज तुझे धरना है सदा।
साहस से तुझको हरपल है काम लेना,
हे पथिक ! नहीं तुझे डरना है सदा।।
तेरी मंजिल मिल ही जाएगी यहाँ,
बस! दृढ़ इरादा तुझे रखना है सदा।
नित अविरल प्रयास करके ही तो
सत्य मार्ग पर तुझे, चलना है सदा।।
हे पथिक ! तू ज़रा सा न घबराना,
मिलती रहेगी तुझे सफ़लता सदा।
झूठ, फरेब व धोखाधड़ी छोड़के,
यदि सदमार्ग पे तू चलता रहे सदा।।
हिन्दुस्तान की वंदनीय नारी शक्ति की बुलंद आवाज, सामाजिक एकता तथा समानता के प्रतीक –
सादर !
देशप्रेमी कविवर श्री ‘सूर्यदीप’
प्रसिद्ध हिन्दी महनीय कवि–साहित्यकार तथा अतीव संवेदनशील समाज–सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता, आध्यात्मिक विचारक, विशिष्ट सम्पादक, भारतीय मानवतावादी दार्शनिक।
स्थायी पता :- ऐतिहासिक बागपत,
उत्तर प्रदेश, भारत।