प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)
देश हुआ बेचैन।
भारत के उस पूत को,
मेरा प्रथम प्रणाम।
सरहद पर जो है मिटा,
हाथ तिरंगा थाम॥
सींच चमन ये साथियों,
खिला गए जो फूल।
उन वीरों के खून को,
जाना तुम मत भूल॥
आओ मेरे साथियों,
कर लें उनका ध्यान।
शान देश की जो बने,
देकर अपनी जान॥
फ़िल्म-खेल का ही चढ़ा,
है सब पर उन्माद।
फौजी मरता देश पर,
कौन करे अब याद॥
आज़ादी अब रो रही,
देश हुआ बेचैन।
देख शहीदों के भरे
दुःख से यारों नैन॥
मैंने उनको भेंट की
दिवाली और ईद।
सीमा पर मर मिट गए,
जितने वीर शहीद॥
काम करो इंग्लैंड में,
रहें भला जापान।
रखना दोस्त सहेजकर,
दिल में हिंदुस्तान॥
आज़ादी अब पूछती,
सबसे यही सवाल।
याद किसे है देश में,
भारत माँ के लाल॥
देकर अपनी जान जो,
गए हमे दे ताज।
उन वीरों के खून को,
याद करे सब आज॥