गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
यह मेरी जन्मभूमि है(ठूँसरा)
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(शेर)- महान है यह जमीं, लिया है जन्म मैंने इस जमीं पर।
चाहे रहूँ गुरबत में, मगर मेरा निकले दम इस जमीं पर।।
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यहाँ जन्मा हूँ मैं, यह मेरी जन्मभूमि है।
मुझे बहुत गर्व है इसपे, यह मेरी मातृभूमि है।।
आवो तुमको कराता हूँ , मैं दर्शन मेरे गाँव के।
मोहब्बत- भाईचारे की, सच यह भूमि है।।
यहाँ जन्मा हूँ मैं ———————–।।
हिंदू- मुस्लिम यहाँ पर, भाईचारे से रहते हैं।
मुसीबत में मदद ये, एकदूजे की करते हैं।।
होली-दिवाली पर ये गीत, मिलकर ऐसे गाते हैं।
सबको सम्मान देने वालों की, यह कर्मभूमि है।।
यहाँ जन्मा हूँ मैं ————————-।।
महशूर है यहाँ का पानी, नग़में जिस पर बनते हैं।
बहुत बड़ा है यहाँ तालाब, जिसको सागर कहते हैं।।
कई सरकारी पदों पर, आसीन इसके लाल है।
बहुमुखी प्रतिभाओं की खान, यारों यह भूमि है।।
यहाँ जन्मा हूँ मैं ————————।।
सरसों-गेहूँ- चना की फसलें, उन्नति के गीत सुनाती है।
शीशम- नीम- पीपल की छाया, थकान सबकी मिटाती है।।
मेरे बचपन की यादें, मुझको रुला देती है।
मेरे संघर्ष की कहानी, मेरी यह जन्मभूमि है।।
यहाँ जन्मा हूँ मैं ———————–।।
कवि बच्छराज, सुरेंद्र, यशोगान ठूँसरा के गाते हैं।
पाठ्यपुस्तकों में तरुण मित्तल, शान इसकी बढ़ाते है।।
कई बार जलकर भी रोशन, यह गाँव ठूँसरा है।
मेरी लेखनी की पहचान, सच में यह भूमि है।।
यहाँ जन्मा हूँ मैं ———————–।।