समीक्षक : राजेन्द्र सिंह गहलोत, बुढार जिला शहडोल म.प्र.
पुस्तक समीक्षा
अतीतजीवी 70+ की महिलाएं
प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं समाज सेवी सुधा गोयल के अब तक 10 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह तथा दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है । प्रस्तुत कहानी संग्रह 70+ की महिलाएं उनका 11 वां कहानी संग्रह है । इस संग्रह मे उनकी 8 कहानियां संग्रहित है। 70+ की महिलाएं कहानी मे कहानीकार 70 से अधिक उम्र की महिलाओं के नीरस नहीं अपितु बेबाकी से सरस जीवन को रेखांकित करते हुये तथा अतीतजीवी होते हुए विवाह कज बाद से अब तक के जीवन के हर पहलू को जीती प्रतीत होती है जिसमे उनके अनुभव जहां उनके संघर्षों की गाथा कहते है वहीं बडे ही प्रभावशाली ढंग से भावनात्मक पहलुओं को भी रेखांकित करते है । जबकि शेष 7 कहानियों का कथानक भी नारी पात्रों के इर्द-गिर्द बुना हुआ है । मोक्ष कहानी वृद्ध स्त्री के प्रति पुत्र की उपेक्षा की पराकाष्ठा को बतलाती है । रिश्तों के पार कहानी में तरला पति के न रहने पर अपना घर वृद्धाश्रम के नाम कर देती है । पायजेब कहानी ओ हेनरी की कहानियों से प्रभावित प्रतीत होती है । शान्ति अपनी पायजेब बेंच कर पति को दवा के लिए पैसा देती है और पति उन पैसों से दवा न लेकर उनसे तथा अपना खून बेच कर मिले पैसों से उसके लिए पायजेब खरीद कर लाता है । तलाश सुकून के पल मे शक्की पति द्वारा उपेक्षित पत्नी की व्यथा चित्रित है । चिट्ठियां कहानी बाल मनोविज्ञान एवं मां के ममत्व भरे रिश्तों को प्रभावशाली ढंग से रेखांकित करती है जिसमे बच्चे की आडी तिरछी रेखाओं की चिट्ठियों को भी मां की आंखे पढ लेती है । जबकि मन्नत कहानी के धागे एवं बचपन का बचपना कहानी कहानीकार के संस्मरण प्रतीत होते है जिसमे मन्नत मे मनोकामना देवी के मंदिर मे पशु बलि के खिलाफ कहानीकार ने अभिव्यक्ति की है वहीं दरगाह मे अपने लिखने पढने की अभिलाषा को अभिव्यक्त किया है। जबकि बचपन का बचपना कहानी मे कहानीकार के बचपन के दिनो का संस्मरण प्रभावशाली एवं भावनात्मक रूप मे अभिव्यक्त हुआ है । लगभग सभी कहानियों की भाषा सहज सरल तथा आम पाठकों के लिये भी बोधगम्य है । कहानियों मे प्रस्तुत भावनाओं की गरमाहट जहां पाठको के हृदय को छूती है वहीं कहानियों का विचारोत्तेजक कथ्य पाठको को चिंतन के लिए बाध्य करता है । शुभकामनाएं।