
दीप्ती श्रीवास्तव
शंकर शाह नगर, रामपुर, जबलपुर।
“आज गूगल भी है गुलाबी “
सैंटा वैलेंटाइन डे की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हाँलाकि उनका संबंध इस वाले प्यार मुहब्बत से सीधी तौर पर बिल्कुल नहीं है।
कथा ये है — औरेलियन सम्राट द्वारा ईसाईयों उत्पीड़न के दौरान उनकी हत्या की गयी थी इसलिए उनकी याद में ये दिवस मनाया जाता है। वैसे सैंटा वेलेंटाइन की उम्र भी अच्छी खासी ही रही होगी। अब ये भी सही है कि प्यार की कोई उम्र नहीं होती तो जैसे नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है वैसे नया मजनूँ भी लैला पर कुछ ज्यादा ही बलि बलि जाता है।
“संत बदलाद” ( bad-lad जो समता सूचक विराम चिह्न के अभाव badlad हो गया ) तो ताज्जुब कर रहे थे उन साधु-संतों, धार्मिक गुरुओं पर जिन्होंने अभी तक है इस दिवस का विरोध नहीं किया।
जबकि हिंदू शास्त्रों में कामदेव प्रेम और काम के देवता मौजूद हैं। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे तो विवाहित भी हैं रति उनकी पत्नी हैं। लिव इन की प्रेरणा भी नहीं देते हैं। कामदेव के रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है, तो फिर उन्हें छोड़कर वैलेंटाइन डे क्यों मनाना ?
अरे! “कामदेव दिवस” कहने में हिचक हो तो अनंग, कंदर्प, मनमथ, मदन, रतिकांत, आदि प्रसिद्ध नामों में से छाँटकर अच्छे वाले नाम पर एक दिवस बना लो और व्रत रखो मंदिर जाओ मंदिर न हो तो बनाओ अपने यहां तो रावण, अंबेडकर, मायावती, गोडसे सब के मंदिर बन जाते हैं पूजा करो पाठ करो और मना लो खूब धूमधाम से इस दिवस को।
मगर नहीं दुनिया तो दीवानी हुई जा रही है वैलेंटाइन डे के पीछे। गुलाब , केक , चॉकलेट कार्डों ,गिफ्टों-शिफ्टों का बाजार गर्म है।
इधर कुछ जूलियट विहीन रोमियो फ़रहाद को दिखाने के बाजार में झूठै रोमिंग कर रहे हैं ।
जूलियट न सही उसकी नर्स एंजेलिका ही मिल जाए वो भी चल जायेगी। आखिर तो ‘कोई न कोई चाहिए प्यार करने वाला’। फिर हर चीज़ का सीजन होता है, तभी अधिक फलता-फूलता है, और तन को भी लगता है।
उधर मासूमियत के मारे कुछ कहते हैं ‘दिल विल प्यार व्यार मैं क्या जानूं रे’, या ‘ये न थी हमारी किस्मत कि बिसाल-ए-यार होता’, तो कुछ कहते फिर रहे हैं ‘हसरत ही रही हमसे भी कभी कोई प्यार करता’। उधर भोले कह रहा था ‘दद्दू हमाओ भी मन में उमंग जागे, तरंग जागे’।
अब कौन बताए कि आज के दिना दद्दू का हाल अलग सोरू है।
दिल लो, दिल लो, दिल दो, दिल दो।
आखिर में इस दिल के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा ।
मगर हाय ! री किस्मत मुड़कर देखा तो जहां के तहां पड़े थे। हमने भी बटोरा और चले आए।
किस्म किस्म के मजनुओं की खेप की खेप आज बौराई नजर आएंगी।
वो साढ़े पांच फुटिया मजनूँ , अपने मोटर मैकेनिक दोस्त की दुकान पर अपनी फटी सुवेगा रखकर किराये पर मोटरसाइकिल भी ले आया था ।
पर देखो हाय ! री फूटी किस्मत उसकी आँख में गुहेरी भी कल ही रात में होनी थी। बेचारे वाली की उसे रिकी मार्टिन समझती है। अब दुविधा में पड़ा मजनूँ कह रहा है –“सॉरी डार्लिंग! मेरे परिवार में गमी हो गई है और फिर हमारा प्यार तो 24×7 का है।”
बहरहाल प्यार में ठुके-लुटे-पिटे को इंतजार कब कोई बात चलाए और त्रिनेत्रधारी भोले अपनी तीसरी आँख खोलें और मुई आग लगे इस वैलेंटाइन डे को ।