
गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां
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छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां, रूठोगे हमसे नाराज होकर।
ऐसे में कब होगी बातें मोहब्बत की, रहोगे हमसे यूँ खफ़ा होकर।।
छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां—————-।।
छोड़ो गुस्सा हमसे नाराजगी तुम, बैठो करीब तुम आकर यहाँ।
हँस दो जरा तुम हमें भी हंसाओं, रहो नहीं दूर तुम तन्हा यहाँ।।
यह जिंदगी तो है जीने का नाम, बांटे मिलकर अपने दर्दो-गम।
वरना यूँ तो बढ़ता जायेगा मर्ज, रहोगे हमसे गर नाखुश होकर।।
छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां—————-।।
तारीफ तुम्हारी कब हमने नहीं की, सबसे खूबसूरत माना है तुमको।
लगती हो हमको सिर्फ तू ही प्यारी, बसाया है ख्वाबों में हमने तुमको।।
देखो बनाई है तस्वीर किसकी हमने, पहचानो इसको और नाम बताओ।
वरना गुमनाम हो जावोगे कल को, रहोगे गर हमसे तुम खामोश होकर।।
छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां—————-।।
कैसी बहारें आज चल रही है, बागों में कलियाँ मुस्करा रही है।
नभ में सितारें चमक रहे हैं, ज्योति चिरागों की झिलमिला रही है।।
करो अटखेलियां तुम भी मौज बनकर, ऐसे उदास तुम ना रहो।
वरना हम भी चले जायेंगे दूर, रहोगे दूर हमसे गर उदास होकर।।
छोटी-छोटी बातों पे तुम इस तरहां—————–।।