
गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
हसीनाओं से तुम दिल मत लगाना
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हसीनाओं से तुम दिल मत लगाना, बर्बादी अपनी तुम मत इनपे करना।
वफ़ा नहीं किसी से ये बड़ी बेशर्म है, बदनामी अपनी तुम मत इनसे करना।।
हसीनाओं से तुम दिल मत करना——————।।
इनको नहीं प्यार सच्चा किसी से, दिल से किसी को ये चाहती नहीं है।
खेलती है दिल से ये खिलौना समझकर, हमेशा जिसे साथ रखती नहीं है।।
खुद को खिलौना मत इनका बनाना, इनसे कदम तुम दूर ही रखना।
वफ़ा नहीं किसी से ये बड़ी बेशर्म है, बदनामी अपनी तुम मत इनसे करना।।
हसीनाओं से तुम दिल मत करना—————–।।
किसी दिल से करके ये बेवफ़ाई, करती हैं मौजें दुश्मन के सँग ये।
बर्बाद घर ये करके किसी का, रहती हैं महलों में बड़े चैन से ये।।
तुम मत गुलामी कभी इनकी करना, मतलब ज्यादा तुम मत इनसे रखना।
वफ़ा नहीं किसी से ये बड़ी बेशर्म है, बदनामी अपनी तुम मत इनसे करना।।
हसीनाओं से तुम दिल मत करना—————–।।
क्यों जिंदगी अपनी करते हो बर्बाद, इनके लिए तुम होश खोकर अपना।
क्यों भूलते हो तुम मंजिल अपनी, इनके लिए सब कुछ छोड़कर अपना।।
तुम इनकी जुल्फों में मत कैद होना, अपने को तुम जी.आज़ाद रखना।
वफ़ा नहीं किसी से ये बड़ी बेशर्म है, बदनामी अपनी तुम मत इनसे करना।।
हसीनाओं से तुम दिल मत करना—————–।।